वाटिकन सिटी, सोमवार 15 सितम्बर 2014 (वीआर सेदोक)꞉ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर
के प्राँगण में रविवार 14 सितम्बर को, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत
प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित
कर कहा, ″अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात,
कलीसिया 14 सितम्बर को
पवित्र क्रूस की विजय का महापर्व मनाती है। ग़ैरख्रीस्तीय भाई-बहनें हमसे पूछ सकते हैं
कि ″क्रूस की विजय का महापर्व क्यों मनाया जाता है?″ हम इसके उत्तर में कह सकते हैं
कि हम एक साधारण क्रूस या कई अन्य क्रूसों का त्योहार नहीं मनाते वरन येसु ख्रीस्त के
पावन क्रूस को सम्मान प्रदान करते हैं क्योंकि इसी पवित्र क्रूस ने मानव जाति के प्रति
ईश्वर के प्रेम को प्रकट किया है। संत योहन रचित सुसमाचार पाठ आज हमें ईश्वर के इस प्यार
को याद दिलाता है। ″ईश्वर ने संसार को इतना प्यार किया कि उसने इसके लिए अपने एकलौते
पुत्र को अर्पित कर दिया, जिससे जो उस में विश्वास करता हे, उसका सर्वनाश न हो, बल्कि
अनन्त जीवन प्राप्त करे।″ (यो.3꞉16) पिता ने अपने एकलौते पुत्र को हमारी मुक्त के लिए
हमें प्रदान किया है जिसके फलस्वरूप येसु को मृत्य से होकर गुजरना पड़ा तथा क्रूस पर
उन्होंने प्राण त्याग दिया।″
संत पापा ने प्रश्न किया, ″क्यों क्रूस की ही आवश्यकता
पड़ी?″ उन्होंने स्वयं उत्तर देते हुए कहा कि हमारे पापों की गंभीरता के कारण जिसने हमें
अपना दास बना लिया था। येसु का क्रूस दोनों बातों को प्रकट करता हैः बुराई की नकारात्मक
शक्ति और साथ ही ईश्वरीय करूणा की सौम्यता को भी। ऐसा प्रतीत होता है कि क्रूस में येसु
की पराजय प्रकट होती है किन्तु वास्तव में यह उनकी विजय है। कलवारी पर उनका उपहास कर
लोग कह रहे थे, ″यदि आप ईश्वर के पुत्र हैं तो क्रूस से नीचे उतर आइये।″ (मती. 27.40)
किन्तु इसके विपरीत ईश्वर के पुत्र होने के कारण ही येसु क्रूस पर टंगे रहे।
येसु
ने क्रूस पर अंत तक बने रह कर पिता ईश्वर की प्रेमी योजना को विश्वास के साथ पूरा किया।
″इसलिए ईश्वर ने उन्हें महान बनाया और उन को वह नाम प्रदान किया, जो सब नामों में श्रेष्ठ
है।″ (फिलि. 2.9)
संत पापा ने कहा कि जब हम येसु के क्रूस काठ में जकड़ा हुआ देखते
हैं तो क्या सोचते हैं? पिता ईश्वर के असीम प्रेम चिन्ह तथा हमारे लिए मुक्ति श्रोत पर
हम चिंतन करें जो हमारे लिए प्रदान किया गया है। ईश्वर की दया क्रूस द्वारा हमारे लिए
प्रकट होती है जो समस्त संसार का आलिंगन करती है। ख्रीस्त के क्रूस द्वारा बुराई एवं
शैतान की पराजय हुई है। हमें जीवन प्रदान किया गया है तथा आशा पुनः जागृत की गयी है।
येसु का क्रूस ही हमारी सच्ची आशा है। इसीलिए कलीसिया पवित्र क्रूस का सम्मान करती है
और हम क्रूस के चिन्ह द्वारा आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। संत पापा ने क्रूस का निरादर
करने से बचने हेतु सचेत करते हुए कहा, सावधान रहें क्योंकि यह कोई जादुई चिन्ह नहीं है।
येसु के क्रूस पर विश्वास करते हुए उनका अनुसरण करें, इस प्रकार ख्रीस्तीय धर्मानुयायी
भी मुक्ति कार्य में भागी बनते ईश्वर तथा पड़ोसियों के प्रेम के खातिर ख्रीस्त के बलिदान,
दुःखभोग तथा मृत्यु के सहभागी होते हैं।
जब हम पवित्र क्रूस पर चिंतन करते या
उसका समारोह मनाते हैं तब हम उन सभी भाई बहनों की याद करते हैं जो ख्रीस्त में विश्वास
के कारण अत्याचार एवं हत्या के शिकार हुए हैं। यह इस लिए होता है क्योंकि धार्मिक स्वतंत्रता
प्रदान नहीं की जाती है अथवा अधूरी स्वतंत्रता प्रदान की जाती है। यद्यपि आज विभिन्न
देशों में सैद्धांतिक रूप में स्वतंत्रता एवं मानव अधिकार की रक्षा की बात की जाती है
किन्तु व्यवहारिक तौर विश्वासी विशेषकर, ख्रीस्तीय धर्मानुयायी प्रतिबंध और भेदभाव का
सामना करते हैं। आज हम उनकी याद करते एवं उनके लिए विशेष प्रार्थना अर्पित करते हैं।
कलवारी पहाड़ पर क्रूस के नीचे माता मरिया उपस्थित थीं। कल हम दुखों की माता
कुँवारी मरियम का पर्व मनाते हैं। कलीसिया के वर्तमान एवं भविष्य को मैं उनके चरणों में
सौंपता हूँ क्योंकि हम जानते हैं कि जब भी हम उनकी मध्यस्थता द्वारा येसु का प्रेम एवं
उनकी मुक्ति खोजते हैं हम उसे प्राप्त करते हैं। विशेषकर, विवाहित दम्पति जिनका विवाह
संस्कार आज संत पेत्रुस महागिरजाघर में सम्पन्न हुआ है।
इतना कहकर संत पापा ने
भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद
दिया। देवदूत प्रार्थना समाप्त करने के पश्चात् संत पापा ने देश-विदेश से एकत्र सभी
तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया तथा उन्हें सम्बोधित किया।
उन्होंने
कहाः कल केंद्रीय अफ्रीकी गणराज्य में, जो संघर्ष के कारण कठिन परिस्थितियों से होकर
गुजर रहा है, संयुक्त राष्ट्रसंघीय सुरक्षा परिषद की पहल द्वारा, देश में शांति को प्रोत्साहन
देने एवं नागरिकों की सुरक्षा हेतु मिशन शुरू हो रहा है। उस महत्वपूर्ण पहल में काथलिक
कलीसिया की सक्रिय सहभागिता एवं प्रार्थना का आश्वासन देता हूँ तथा अंतरराष्ट्रीय समुदाय
के इस पहल की सराहना करता हूँ। इस पहल द्वारा केंद्रीय अफ्रीकी गणराज्य के भले लोगों
को बड़ी मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि वार्ता हिंसा को खत्म करने का रास्ता निकालती
तथा विरोधी गुटों को भंग करती है। यह विशेषकर, हित सुनिश्चित करने वाले प्रयास को बढ़ावा
देती है जिससे कि सभी जाति एवं धर्म के लोग एक साथ मिलकर जन कल्याण के लिए एकजुट हो सकें।
अंत में संत पापा ने उपस्थित सभी लोगों का अभिवादन करते हुए उन्हें शुभ रविवार की
मंगलकामनाएँ अर्पित की।