वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 11 सितम्बर 2014 (वीआर सेदोक)꞉ वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास
संत मार्था के प्रार्थनालय में संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार 11 सितम्बर को पावन
ख्रीस्तयाग अर्पित किया। प्रवचन में उन्होंने अपने बैरियों से प्रेम करने की येसु की
शिक्षा पर प्रकाश डाला।
संत लूकस रचित सुसमाचार पाठ पर चिंतन करते हुए संत पापा
ने कहा, ″अपने बैरियों से प्रेम करो। इस शिक्षा द्वारा येसु प्यार करने के एक ऐसे तरीके
से अवगत कराते हैं जिसकी कोई सीमा नहीं है। येसु कहते हैं कि जो हमसे बुरा बर्ताव करते
हैं उनके लिए हम प्रार्थना करें।″
संत पापा ने प्यार का अर्थ समझाते हुए कहा
कि इसका अर्थ हैः भलाई करना, आशीर्वाद देना, प्रार्थना करना तथा दूसरों का तिरस्कार नहीं
करना। उन्होंने कहा कि सुसमाचार में यही नयी बात है। येसु हमें दिखलाना चाहते हैं कि
उन्हीं से प्यार करना जो हमसे प्रेम करते है वह साधारण बात है क्योंकि पापी भी ऐसा कर
लेते हैं। किन्तु एक ख्रीस्तीय धर्मानुयायी को अपने दुशमनों से भी प्रेम करना चाहिए।
ये शिक्षा कई लोगों के लिए असंभव प्रतीत हो सकती है किन्तु एक ख्रीस्तीय इसका पालन करता
है। येसु ने हमें यही मार्ग दिखलाया है।
हम येसु के बताये रास्ते पर चले जो दयालु
हैं। दयालु बनो जैसे तुम्हारा स्वर्गिक पिता दयालु हैं। सिर्फ दयालु होकर हम येसु की
शिक्षा का पालन कर सकते हैं।
संत पापा ने कहा कि ख्रीस्तीय जीवन आत्मत्याग का
जीवन है। यह देना जानता है। इसका उपहार है प्यार और प्यार में स्वार्थ नहीं होता। संत
पापा ने कहा कि ये शिक्षा हमें मूर्खतापूर्ण लग सकता है किन्तु संत पौलुस कहते हैं संसार
के लिए क्रूस की शिक्षा मूर्खता है जो संसार के ज्ञान से भिन्न है। संसार का ज्ञान तो
निजी लाभ हेतु हमें चालाक बनने की शिक्षा देता है।
संत पापा ने कहा कि ख्रीस्तीय
होना सहज नहीं है। सिर्फ अपनी शक्ति से नहीं किन्तु ईश्वर की कृपा द्वारा हम सच्चा ख्रीस्तीय
बन सकते हैं। उपस्थित विश्वासियों को सच्चा ख्रीस्त बने रहने के लिए संत पापा ने
प्रार्थना करने की सलाह दी।