2014-09-04 15:43:58

ईश्वर के सामर्थ्य में आशा एवं नव जीवन प्रदान करने की शक्ति


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 4 सितम्बर 2014 (वीआर सेदोक)꞉ वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मार्था के प्रार्थनालय में, बृहस्पतिवार 4 सितम्बर को संत पापा फ्राँसिस ने पावन ख्रीस्तयाग अर्पित किया। उन्होंने प्रवचन में ईशवचन द्वारा मन परिवर्तन की कृपा, अपने पापों के प्रति सचेत एवं ख्रीस्त से मुलाकात द्वारा मन-परिवर्तन पर चिंतन प्रस्तुत किया।

संत पापा ने प्रवचन में कोरिंथ की कलीसिया को संत पौलुस द्वारा लिखे पत्र पर चिंतन किया जहाँ वे कहते हैं, ″यदि आप लोगों में कोई अपने को संसार की दृष्टि से ज्ञानी समझता हो, तो वह सचमुच ज्ञानी बनने के लिए अपने को मूर्ख बना ले; क्योंकि इस संसार का ज्ञान ईश्वर की दृष्टि में 'मूर्खता' है।″

संत पौलुस कहते हैं कि ईश्वर का सामर्थ्य ही सच्चा हृदय परिवर्तन करता है क्योंकि उस सामर्थ्य में संसार का परिवर्तन करने तथा उसमें आशा एवं नव जीवन प्रदान करने की शक्ति निहित है।
संत पापा ने कहा कि वह सामर्थ्य मानवीय बुद्धि पर आधारित नहीं है। उन्होंने कहा कि मूर्ख बनने का अर्थ है अपनी सुरक्षा की खोज अपनी बुद्धिमता यानी संसार की ताक़तों पर नहीं करना।
संत पेत्रुस के येसु के साथ प्रथम मुलाकात पर गौर कर संत पापा ने कहा कि इस मुलाकात में उसे मुक्ति प्राप्त हुई।

संत पापा ने कहा, ″ख्रीस्त के साथ मुलाकात में पाप की अहम भूमिका है। यदि एक ख्रीस्त धर्मानुयायी अपने पापों को परखने तथा ख्रीस्त के लोहू में अपनी मुक्ति देख पाने में असमर्थ है तो वह एक गुनगुना ख्रीस्तीय है।

संत पापा ने प्रवचन में उन अवनत पल्लियों एवं संस्थाओं की ओर इशारा किया जहाँ के ख्रीस्तीयों ने ख्रीस्त के साथ कभी सच्ची मुलाकात नहीं की है।
उन्होंने विश्वासियों से आग्रह किया कि वे आत्म जाँच करें और देखें कि क्या वे अपने को प्रभु के सम्मुख पापी स्वीकार करने के योग्य हैं। क्या वे सचमुच विश्वास करते हैं कि ख्रीस्त ने उन्हें नवजीवन प्रदान किया है। क्या वे ख्रीस्त पर भरोसा रखते हैं। उन्होंने कहा कि ख्रीस्तीय मात्र दो बातों पर गर्व कर सकते हैं- अपने पापों एवं ख्रीस्त के क्रूस पर।








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