वाटिकन सिटीः सुसमाचार की एक प्रति सदैव रखें अपने पास, सन्त पापा का परामर्श
वाटिकन सिटी, 02 सितम्बर सन् 2014 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने काथलिक धर्मानुयायियों
को परामर्श दिया है कि वे सदैव अपने पास सुसमाचार की एक प्रति रखें तथा येसु की खोज में
लगे रहें।
पहली सितम्बर को सन्त पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित सन्त मर्था प्रेरितिक
आवास के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयागों के दौरान प्रवचनों का सिलसिला आरम्भ किया।
सोमवार
के ख्रीस्तयाग प्रवचन में उन्होंने काथलिक धर्मानुयायियों से अपील की कि सुसमाचार पाठों
से वे येसु से परिचित होवें तथा अपने जीवन को समृद्ध बनायें।
उन्होंने कहा, "सुसमाचार
की प्रति अपनी जेब में रखकर चलें, सुसमाचार पाठों को पढ़ें तथा प्रतिदिन येसु को ग्रहण
करें क्योंकि ईश वचन में येसु विद्यमान हैं। ईश वचन एवं येसु को आप उदार हृदय से ग्रहण
करें, उन्हें धन्यता की भावना में विनम्र हृदय से स्वीकार करें।"
कुरिन्थियों
को प्रेषित सन्त पौल के पत्र पर चिन्तन करते हुए सन्त पापा ने कहा, "पौल कहते हैं, मैं
दलीलों अथवा शब्दों से तुम्हें समझाने नहीं आया अथवा तुम पर अच्छा प्रभाव डालने के लक्ष्य
से नहीं आया। नहीं, इसके विपरीत मैंने दूसरा रास्ता चुना है, दूसरी शैली का चयन किया
है। मैं तुम्हें पवित्रआत्मा एवं उनके सामर्थ्य के बारे में बताने आया हूँ ताकि तुम्हारा
विश्वास मानव प्रज्ञा पर नहीं बल्कि ईश्वर की शक्ति से मज़बूत हो सके।"
सन्त
पापा ने कहा, "इस प्रकार ईश वचन भिन्न है, वह मानवीय शब्दों से अलग है, वह बुद्धिमान
का, वैज्ञानिक का और न ही किसी दार्शनिक का शब्द है क्योंकि ईश वचन स्वयं ईश्वर का शब्द
है और ईश्वर अपने पुत्र येसु ख्रीस्त में हमसे बात करते हैं। अस्तु, ईश वचन स्वयं प्रभु
येसु ख्रीस्त हैं। ईश वचन के पाठ से येसु को हम ग्रहण करें तथा अपने जीवन को साकार करें।"