वाटिकन सिटी, सोमवार 1 सितम्बर 2014 (वीआर सेदोक)꞉ संत पापा फ्राँसिस ने रविवार 31 अगस्त
को संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में उपस्थित भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना
का प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित
कर कहा, अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात, संत मती रचित रविवारीय सुसमाचार
पाठ में आज हम उस महत्वपूर्ण बिंदु पर पहुँचते हैं जहाँ येसु खुद के मसीह एवं ईश्वर के
पुत्र होने पर पेत्रुस एवं अन्य 11 शिष्यों के विश्वास को परखने के बाद स्पष्ट रूप से
प्रकट करना आरम्भ करते हैं कि उन्हें येरूसालेम जाना, दुःख भोगकर मर जाना तथा तीसरे दिन
जी उठना होगा।″ (मती.16꞉21)
यह एक महत्वपूर्ण समय था जिसमें येसु के विचार एवं
शिष्यों के विचार में स्पष्ट अंतर दिखाई पड़ता है। पेत्रुस तो इतना आवेश में आ जाता है
कि येसु को भी फटकार लगाने से नहीं चूकता, क्योंकि उसके अनुसार, मसीह की मृत्यु इतनी
शर्मनाक नहीं हो सकती। इसके प्रत्युत्तर में येसु उसे जोर से फटकारते तथा उसे सही रास्ते
पर लाते हैं क्योंकि पेत्रुस का विचार ईश्वर के अनुसार नहीं था। पेत्रुस को यह एहसास
नहीं हुआ था कि वह शैतान के प्रलोभन में पड़कर बोल रहा था।″
संत पापा ने जोर
देते हुए कहा, ″इस रविवारीय धर्मविधिक पाठ में प्रेरित संत पौलुस रोम के ख्रीस्तीयों
को लिखते हैं और बतलाते हैं कि ″आप इस संसार के अनुकूल न बनें, बल्कि सब कुछ नयी दृष्टि
से देखें और अपना स्वभाव बदल लें। इस प्रकार आप जान जायेंगे कि ईश्वर क्या चाहता है और
उसकी दृष्टि में क्या भला, सुग्राह्य तथा सर्वोत्तम है।″ (रोम.12,2)
वास्तव
में, हम ख्रीस्तीय धर्मानुयायी संसार में समाज एवं संस्कृति की वास्तविकता में पूर्ण
रूप से संघटित होकर जीते हैं और यह आवश्यक भी है किन्तु यह हमारे लिए भौतिकवादी बनने
की जोखिम पैदा करता है। एक ऐसा जोखिम जो नमक को फीका कर सकता है, उदाहरणार्थ, प्रभु एवं
पवित्र आत्मा द्वारा प्राप्त कृपा को ख्रीस्तीय खो बैठते हैं। इसके विपरीत, जब ख्रीस्तीय
धर्मानुयायी सुसमाचार की शक्ति से संचालित होते हैं तो उनके न्याय करने के मानदंड, मूल्यों
के निर्धारण, रूचि, विचार की दिशाएँ, प्रेरणा के स्रोत तथा जीवन के मक़सदों में परिवर्तन
आता है। (पौल षष्ठम, एवनजेली नूनतियांदी- 19) संत पापा ने कहा, ″निरुत्साहित ख्रीस्तीयों
से मिलना विषादपूर्ण है वे उन्नत प्रतीत होते हैं किन्तु यह अस्पष्ट है कि वे ख्रीस्तीय
हैं अथवा दुनियावी, उसी प्रकार जिस प्रकार पानी से मिश्रित दाखरस से मालूम ही नहीं होता
कि वह पानी है या दाखरस। यह जानकर दुःख होता है कि ख्रीस्तीय पृथ्वी के नमक नहीं रह जाते
हैं। हम जानते हैं कि जब नमक अपना स्वाद खो देता है तो वह बेकार हो जाता है। नमक अपना
स्वाद खो देता है क्योंकि उनमें सांसारिकता घर कर जाती है जो भौतिक है इसलिए, यह आवश्यक
है कि सुसमाचार से प्रेरित होकर नवीनीकरण को जारी रखा जाए। संत पापा ने कहा कि इस
बात को किस प्रकार व्यावहारिक बनाया जा सकता है? उन्होंने कहा, प्रतिदिन सुसमाचार का
पाठ एवं उस पर मनन-चिंतन करने के द्वारा, जिससे कि ईश वचन हमारे जीवन में उपस्थिति रहे।
संत पापा ने याद दिलाते हुए कहा कि अपने साथ सुसमाचार की एक प्रति रखना तथा हर दिन उसका
पाठ करना न भूलें।
संत पापा ने सच्चे ख्रीस्तीय बने रहने के दूसरे उपाय को बतलाते
हुए कहा कि हम रविवारीय ख्रीस्तयाग में भाग लें जहाँ हम समुदाय में प्रभु से मुलाकात
करते हैं। ईश वचन सुनने एवं परमप्रसाद ग्रहण करने से हम ख्रीस्त एवं एक-दूसरे के साथ
संयुक्त हो जाते हैं। सच्चा ख्रीस्तीय बनने हेतु आध्यात्मिक नवीनीकरण, एक दिवसीय मनन-चिंतन
एवं आध्यात्मिक साधना भी कारगर उपाय हैं। संत पापा ने पुनः याद दिलाते हुए कहा कि
सुसमाचार पठन, पावन ख्रीस्तयाग एवं प्रार्थना करना न भूलें। प्रभु के उपहार को संसार
द्वारा नहीं किन्तु मात्र ख्रीस्त तथा उनके रास्तों पर चलने के द्वारा प्रमाणित किया
जा सकता है। उनका रास्ता एक ऐसा रास्ता है जिसमें हम अपना जीवन खो देते हैं ताकि हम उन्हें
प्राप्त कर सकें। अपने को खो देने का अर्थ है अपने को दे देना। प्यार के लिए अर्पित किया
जाना और प्यार त्याग की मांग करता है इतना तक कि क्रूस भी। अपने जीवन को नवीकृत,
स्वार्थ रहित, मृत्यु के बंधन मुक्त एवं अनन्त जीवन की प्राप्ति हेतु ख्रीस्त का रास्ता
अपनाना आवश्यक है। माता मरिया इस यात्रा में सदा हमारा साथ देती हैं। हम उनका मार्गदर्शन
एवं साहचर्य प्राप्त करें।
इतना कहकर संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत
प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया। देवदूत प्रार्थना समाप्त
करने के पश्चात् उन्होंने देश विदेश से आये सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन
किया। उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि 1 सितम्बर को इटली में सृष्टि सुरक्षा दिवस
मनाया जाता है जो धर्माध्यक्षीय सम्मेलन द्वारा आयोजित किया जाता है। इस वर्ष की विषयवस्तु
है, ″हमारे देश एवं शहरों के स्वास्थ्य हेतु सृष्टि की रक्षा का प्रशिक्षण।″
संत
पापा ने आशा व्यक्त की कि यह दिवस सभी संस्थाओं, संगठनों एवं नागरिकों को लोगों के जीवन
एवं स्वास्थ्य की रक्षा के प्रति समर्पण की भावना को प्रोत्साहन प्रदान करेगा तथा पर्यावरण
एवं प्रकृति के प्रति सम्मान की भावना में वृद्धि करेगा। अंत में संत पापा ने प्रार्थना
का आग्रह करते हुए सभी को शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।