वाटिकन सिटीः ईराक के अल्पसंख्यकों की सुरक्षा हेतु ठोस उपाय आवश्यक, कार्डिनल वेलियो
वाटिकन सिटी, 29 अगस्त सन् 2014 (सेदोक): वाटिकन के वरिष्ठ कार्डिनल तथा आप्रवासियों
की प्रेरिताई हेतु गठित परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष कार्डिनल अन्तोनियो मरिया वेलियो
ने गुरुवार को वाटिकन में सन्त पापा फ्राँसिस से मुलाकात कर ईराक में ख्रीस्तीयों एवं
अन्य अल्पसंख्यकों के पलायन पर विचार विमर्श किया।
कथित इस्लामिक स्टेट के आईएसआईएस
के लड़ाकाओं ने सिरिया एवं ईराक के अधिकांश क्षेत्रों पर कब्ज़ा कर रखा है तथा अल्पसंख्यकों
को डरा धमका कर उनके घरों से पलायन के लिये बाध्य किया जा रहा है।
उक्त मुलाकात
के उपरान्त वाटिकन रेडियो से बातचीत में कार्डिनल वेलियो ने कहा कि सन्त पापा फ्राँसिस
ने उनसे कहा है कमज़ोर लोगों की मदद में कलीसिया को अग्रणी होना चाहिये। उन्होंने कहा
कि कलीसिया का अर्थ केवल वाटिकन तथा परमधर्मपीठ ही नहीं है अपितु स्थानीय कलीसियाओं द्वारा,
कलीसिया सम्पूर्ण विश्व की वास्तविकता है जो निर्धनों एवं कमज़ोर वर्गों की मदद को कृतसंकल्प
है।
उन्होंने कहा, "कलीसिया को ज़रूरतमन्दों की मदद करनी चाहिये क्योंकि उनके
अधिकारों का अतिक्रमण किया जा रहा है। कलीसिया निर्धनों की एवं उन लोगों की है जिनकी
आवाज़ सुनी नहीं जाती।"
कोरिया से रोम वापसी यात्रा के दौरान सन्त पापा द्वारा
कहे शब्दों को याद कर कार्डिनल वेलियो ने कहा कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को सूझ-बूझ के
साथ और सावधानीपूर्वक विकल्पों का मूल्याकंन करना चाहिये किन्तु यदि आक्रामक को रोकने
के लिये निष्क्रिय रहा गया तो यह पाखण्ड और ढोंग होगा।
उन्होंने कहा, "दुर्बल
की सहायता के लिये यदि ठोस उपाय नहीं किये गये तो यह ऐसा ही होगा जैसे हिटलर द्वारा यहूदियों
के मारे जाने के बाद लोग कहने लगे थे कि नहीं, हमें कुछ नहीं मालूम था। यह पाखण्ड और
ढोंग के सिवाय कुछ नहीं होगा।"
कोरिया से रोम वापसी यात्रा के दौरान सन्त पापा
फ्राँसिस ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा था कि अन्यायपूर्ण आक्रामक को रोकना वैधसंगत
है।
कार्डिनल महोदय ने कहा कि दुर्भाग्यवश यूरोप अपनी समस्याओं को लेकर चिन्तित
है किन्तु ईराक की समस्या यूरोप की चिन्ता कहीं अधिक गम्भीर है। उन्होंने आशा व्यक्त
की यूरोप ईराक से पलायन करने वालों की व्यथा पर संवेदनशीलता दर्शायेगा।