2014-08-25 15:16:23

कंधमाल दिवस पर न्याय और सुरक्षा की माँग


कंधमाल, 25 ‎अगस्त ‎2014 (उकान) ओडिशा के कंधमाल में सन् 2008 में ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा के शिकार लोगों के लिये न्याय की माँग करते हुए करीब 50 स्वयंसेवी संगठनों ने 25 अगस्त को कंधमाल दिवस मनाने का निर्णय किया है।

कंधमाल दिवस के अवसर पर देशभर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किये गये हैं पर दिल्ली के जन्तर-मंतर में मुख्य कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इन कार्यक्रमों में साम्प्रदायिक हिंसा के विरोध में रैलियाँ, भाषण, प्रदर्शनी तथा रंगमंच कर्मियों द्वारा नाटक और नुक्कड़ भी प्रदर्शित किये जाने की योजना है।

कंधमाल दिवस के आयोजकों की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार 25 अगस्त को ही भुवनेश्वर, मुम्बई, बंगलोर, हैदराबाद और अन्य बड़े शहरों में भी साम्प्रदायिक हिंसा के विरोध में प्रदर्शन और गोष्ठी के आयोजन किये जा रहे हैं।

विदित हो कि सन् 2008 में ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा तीन महीने तक जारी रहे जो 300 वर्षों में सबसे क्रूर हिंसा के रूप में रिकॉर्ड किये गये।

नैशनल पीपल्स ट्रिब्युनल के अनुसार इस हिंसा में 56 हज़ार दलित और आदिवासियों को विस्थापित होना पड़ा था। 5,600 घरों को ढह दिया गया, 300 प्रार्थनालय स्कूल हॉस्टेल और चिकित्सा केन्द्रों को भी बरबाद कर दिया गया था।

रिपोर्ट के अनुसार 120 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था जिनमें कई लोगों को स्थानीय हथियारों तथा कुल्हाड़ी से काट दिया गया था और कई लोगों को ज़िन्दा भी जला दिया गया था।

हिंसा के शिकार लोगों में विभिन्न कलीसियाओं के कई पुरोहित भी शामिल थे। तीन महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया जिनमें एक काथलिक धर्मबहन भी शामिल है।

कंधमाल दिवस के कार्यकर्ताओ ने माँग की है कि कंधमाल हिंसा के दिनों में मनगढ़ंत आरोपों में गिरफ़्तार लोगों को मुक्त कर दिया जाये। इसके साथ धर्म, संस्कृति, भाषा तथा आदिवासियों तथा दलितों के धर्मों का सम्मान हो और ऐसे राजनैतिक नेताओं पर कारवाई की जाये जो परोक्ष या प्रत्यक्ष रूप से साम्प्रदायिक हिंसा में जुड़े थे।

























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