2014-08-22 13:41:04

प्रेरक मोतीः सन्त फिलिप बेनीज़ी या बेनितियुस (1233-1285)


वाटिकन सिटी, 23 अगस्त सन् 2014:

फिलिप बेनीज़ी का जन्म इटली के फ्लोरेन्स नगर के एक कुलीन परिवार में हुआ था। उनकी शिज्ञा-दीक्षा, पहले पेरिस में और उसके बाद पादोआ में हुई थी। यहीं पर उन्होंने चिकित्सा विज्ञान एवं दर्शन शास्त्र में डाक्टरेड की उपाधि प्राप्त की थी। पढ़ाई के बाद कुछ समय तक फिलिप चिकित्सक रूप में नौकरी करते रहे किन्तु सन् 1253 ई. में फ्लोरेन्स स्थित सरवाईट भिक्षु धर्मसमाज में भर्ती हो गये थे।


सन् 1259 ई. तक उन्होंने इस धर्मसमाज के धर्मबन्धु रूप में सेवाएं अर्पित की और बाद में पुरोहित अभिषिक्त हुए। सन् 1262 ई. में फिलिप, सियेना नगर में नवदीक्षार्थियों के आध्यात्मिक गुरु नियुक्त किये गये और फिर, धर्मसमाज के कई मठों की देखरेख का कार्य उनके सिपुर्द किया गया। इसके अतिरिक्त, सन् 1267 ई. में वे सरवाईट धर्मसमाज के धर्मसमाज अध्यक्ष नियुक्त कर दिये गये थे।


फिलिप बेनीज़ी को अपने युग का महान वक्ता, उपदेशक एवं अग्रवर्ती प्रचारक माना जाता था। ज़रूरतमन्दों की मदद, परसेवा के प्रति तत्परता तथा उदारता के लिये वे विख्यात थे। बड़े धर्मोत्साह एवं धैर्य के साथ उन्होंने सरवाईट धर्मसमाज में सुधारों को कार्यरूप दिया था। 22 अगस्त, सन् 1285 ई. को, इटली के टोडी नगर में, सरवाईट भिक्षु धर्मसमाजी, कार्डिनल एवं प्रचारक, फिलिप बेनीज़ी या बेनितियुस का निधन हो गया था। सन् 1671 ई. में फिलिप बेनीज़ी सन्त घोषित किये गये थे। उनका पर्व 23 अगस्त को मनाया जाता है।


चिन्तनः सांसारिक सुख वैभव का परित्याग कर हम भी मानव सेवा के लिये प्रेरित होवें तथा ईश्वर एवं सत्य की खोज के प्रति समर्पित रहें।








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