वाटिकन सिटी, बुधवार 20 अगस्त, 2014 (सेदोक, वी.आर.)꞉ बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर
पर 20 अगस्त को संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित पौल षष्टम सभागार में, विश्व के कोने-कोने
से एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को सम्बोधित किया। उन्होंने इताली भाषा में कहा,
″ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, कोरिया में प्रेरितिक यात्रा ने मुझे
एक युवा तथा प्रचीन एशियाई संस्कृति एवं ख्रीस्त के सुसमाचार के बीच मिशनरी उत्साह से
पूर्ण सक्रिय कलीसिया का दौरा करने का अवसर प्रदान किया । मेरी इस यात्रा के अभिप्राय
को तीन शब्दों में व्यक्त किया जा सकता है- इतिहास, साक्ष्य और आशा।″
संत पापा
ने कहा, ″इतिहास एवं आशा के संरक्षक के रूप में कलीसिया, इतिहास द्वारा प्राप्त विश्वास
की धरोहर को संचित रखते हुए उसे वर्तमान में प्रकट करती है तथा इसके माध्यम से भविष्य
की आशा प्रदान करती है। संत पापा ने कहा कि यह सच्चाई कोरिया के 124 शहीदों की धन्य घोषणा
एवं 6 वें एशियाई युवा दिवस समारोह में चरितार्थ होती है जिसने समस्त महाद्वीप के युवाओं
को एक साथ मिलाया था। कोरिया में कलीसिया का जन्म और विकास विशेष रूप से लोकधर्मियों
द्वारा हुई जिन्होंने सुसमाचार की सुन्दरता को पहचाना तथा कलीसिया की प्रथम ख्रीस्तीय
समुदाय की तरह ग़रीबों के प्रति समान प्रतिष्ठा एवं सहानुभूति की भावना रखकर जीना चाहा।
ईश्वर से विनय है कि कोरिया वासी विश्वास एवं प्रेम में सदा बढ़ते जाएँ। सभी प्रकार के
विभाजनों से ऊपर उठकर वे भविष्य को मेल-मिलाप और आशा की नजरों से देख सकें।
इतना
कहकर संत पापा ने माल्टा के सभी वेदी सेवकों का अभिवादन किया तथा गत महीने संत पेत्रुस
महागिरजाघर में वेदी सेवा हेतु उनकी सहभागिता के लिए धन्यवाद दिया।
संत पापा
ने सभी अंग्रेजी भाषी तीर्थयात्रियों का भी अभिवादन किया तथा अंत में भारत, इंगलैंड,
मलेशिया, इंडोनेशिया वेल्स, वियेतनाम, डेनमार्क, नीदरलैंड, नाइजीरिया, आयरलैंड, फिलीपीन्स,
नोर्व, स्कॉटलैंड. जापान, मॉल्टा, डेनमार्क कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, हॉंन्गकॉंन्ग, अमेरिका
और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों को विश्वास
में बढ़ने तथा प्रभु के प्रेम और दया का साक्ष्य देने की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक
आशीर्वाद दिया।