2014-08-19 12:22:32

विमान सेः कलीसिया के लिये सन्त पापा चाहते हैं धर्म पालन की स्वतंत्रता


विमान से, सोमवार, 18 अगस्त सन् 2014 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा है कि वे चीन के साथ वार्ताएं करने को उत्सुक हैं तथा कलीसिया के लिये केवल धर्म पालन की स्वतंत्रता चाहते हैं।

सोमवार को कोरिया से रोम वापसी हेतु विमान पर पत्रकारों से बातचीत के दौरान सन्त पापा ने यह मनोरथ व्यक्त किया।

पत्रकारों से उन्होंने कहाः "कलीसिया केवल अपना काम करने की स्वतंत्रता चाहती है, और कुछ नहीं।"

उन्होंने कहा, "परमधर्मपीठ सभी सम्पर्कों के लिये तैयार है क्योंकि वह चीन के लोगों के प्रति यथार्थ सम्मान भाव रखता है।"

13 अगस्त को सेओल की हवाई यात्रा के दौरान सन्त पापा के विमान को चीन के हवाई क्षेत्र से जाने की अनुमति प्रदान की गई थी। इससे पूर्व सन् 1989 ई. में सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय इस अनुमति से वंचित रहे थे। इस विषय में सन्त पापा ने पत्रकारों को बताया कि जब 10 मिनट तक चीनी हवाई क्षेत्र से उनका विमान गुज़र रहा था तब उन्होंने राष्ट्रपति ज़ी जिनपिंग के नाम शुभकामना सन्देश प्रेषित किया और साथ ही चीन के भले एवं प्रिय लोगों के लिये प्रार्थना की। उन्होंने कहा, "प्रसन्न मन से मैं चीन जाना चाहूँगा, बिल्कुल, कल ही।"

सोमवार को वापसी यात्रा के अवसर पर भी सन्त पापा ने चीनी राष्ट्रपति के नाम तार सन्देश भेजा, उन्होंने लिखाः "श्रीमान, आपके प्रति एवं आपके सहनागरिकों के प्रति हार्दिक शुभकामनाएँ व्यक्त करते हुए आपकी भूमि पर मैं प्रभु के दैवीय आशीर्वाद का आह्वान करता हूँ।"

दक्षिण कोरिया की उन महिलाओं के लिये भी सन्त पापा प्रार्थना की जिनका उपयोग द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानी सेना ने यौन दासों के रूप में किया था।

सोमवार को सेओल के महागिरजाघर में सन्त पापा ने कथित "कमफर्ट विमन" में से सात महिलाओं से मुलाकात कर उन्हें आशीष दी थी। सन्त पापा ने कहा कि ये महिलाएँ सताई गई, शोषित की गई किन्तु इन्होंने अपनी प्रतिष्ठा को बरकरार रखा।

उन्होंने कहा, "कोरियाई लोग ऐसे लोग हैं जिन्होंने अपनी प्रतिष्ठा नहीं खोई है। इन पर आक्रमण किया गया, इन्हें अपमानित किया गया, युद्ध के अधीन किया गया और अब ये विभाजित हैं। विभाजन की व्यथा महान है। मैं इसे समझता हूँ और प्रार्थना करता हूँ कि इसका अन्त हो जाये।"








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