सिओल, सोमवार 18 अगस्त, 2014 (सेदोक, वीआर) संत पापा फ्राँसिस ने दक्षिण कोरिया की अपनी
प्रेरितिक यात्रा के अन्तिम दिन सिओल से विदा होने के पूर्व सिओल के महागिरजाघर में यूखरिस्तीय
बलिदान अर्पित किया।
यूखरिस्तीय समारोह में दक्षिण कोरिया की राष्ट्रपति पार्क
सहित 1 हज़ार लोगों ने हिस्सा लिया।
शांति और मेलमिलाप के लिये अर्पित मिस्सा
बलिदान प्रवचन देते हुए संत पापा फ्राँसिस ने कोरिया की कलीसिया के लिये उनका आभार व्यक्त
किया और कहा कि यह मिस्सा बलिदान उनकी प्रेरितिक यात्रा की चरमसीमा है।
उन्होंने
बड़े ही स्पष्ट शब्दों में कहा कि वे ईश्वर से शांति और मेल-मिलाप की कृपा की याचना करते
हैँ। उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि कोरियाई परिवार में मेल मिलाप हो।
संत पापा
ने कहा कि ईश्वर हमसे चाहते हैं कि हम उनकी ओर लौट आयें और उसकी आज्ञाओं को मानें।
ईश्वर
की ये बातें कोरियाई कलीसिया के लिये अति महत्वपूर्ण है जिन्हें आपसी विभाजन और संघर्ष
का 60 साल का अनुभव रहा है। आज ईश्वर चाहते है कि कोरिया के लोग अपना मूल्यांकन करें
कि उन्होंने शांति न्याय और एक मानवीय समुदाय बनाने में क्या योगदान दिया है।
संत
पापा ने कहा कि आप संदेह, संशय और टकरावपूर्ण प्रतिस्पर्द्धा का अस्वीकार करें और एक
ऐसी संस्कृति तथा संस्कार के मार्ग को अपनायें जिससे सुसमाचारी मूल्यों तथा आपकी सांस्कृतिक
मूल्यों की रक्षा हो।
क्षमा के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कहा कि शांति
और मेलमिलाप के लिये क्षमा के दरवाज़े से होकर गुज़रने की आवश्यकता है। जो मानव के लिये
असंभव है वह ईश्वर के लिये संभव है।
उन्होंने कहा ईश्वर आपको बुला रहे हैं, उसकी
आवाज़ सुने, वे अपनी प्रतिज्ञायें पूरी करने के लिये हमारा इन्तज़ार कर रहें ताकि पुरखों
की इस पावन धरती में हमें शांति, सद्भावना और प्रगति के साथ जीवन बिता सकेँ।