2014-08-14 16:06:32

कोरिया आना बड़े हर्ष की बात


सेओल, बृहस्पतिवार, 14 अगस्त 2014 (वीआर सेदोक)꞉ संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार 14 अगस्त को कोरिया में अपनी प्रेरितिक यात्रा के प्रथम पड़ाव पर, सेओल के राष्ट्रपति भवन में दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति पार्क गुउन हेई तथा अन्य सरकारी अधिकारियों से मुलाकात की जहाँ उनका भव्य स्वागत किया गया।
स्वागत समारोह पर उपस्थित अधिकारियों को सम्बोधित करते हुए संत पापा ने कहा, ″मेरे लिए कोरिया आना बड़ी खुशी की बात है। कोरिया न केवल प्रकृतिक सौंदर्य का स्थल है किन्तु यहाँ के लोग भले हैं एवं यहाँ का इतिहास तथा संस्कृति भी समृद्ध है।
संत पापा ने प्रेरितिक यात्रा के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसका प्रमुख उद्देश्य है 6 वीं एशियाई युवा दिवस पर महाद्वीप के भी काथलिक युवाओं के साथ मिलकर विश्वास को आनन्द पूर्वक मनाना। दूसरे उद्देश्य की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि वे कोरिया के पौल यून जी चंग और उनके 123 साथी शहीदों को धन्य घोषित करेंगे।
संत पापा ने कहा कि एक उन्नत समाज न केवल अपने पुर्वजों की परम्परागत धरोहर को संजोकर रखता है किन्तु अपने युवा रूपी निधि को भी सुरक्षित रखता है। जब कभी युवा एक साथ एकत्र होते हैं तो यह उनकी आशाओं एवं आकांक्षाओं को सुनने का एक सुनहरा अवसर होता है। हमें ग़ौर करने की आवश्यकता है कि हम अगली पीढ़ी को मानवीय मूल्य किस प्रकार हस्तांतरित कर रहे हैं तथा उन्हें सौंपने हेतु किस प्रकार के विश्व समाज का निर्माण कर रहे हैं। हमें उन्हें शांति प्रदान करने की आवश्यकता है।
शांति की खोज भी हमारे लिए एक चुनौती है विशेषकर, उनके लिए जो मानव परिवार में सार्वजनिक हित हेतु राजनीतिक रूप से समर्पित हैं। समझौता एवं एकता को बढ़ावा देकर अविश्वास के द्वार को तोड़ना चिरस्थायी चुनौती है। आपसी दोषारोपण, निरर्थक आलोचनाओं और बल प्रयोग के विपरीत शांति प्राप्ति एक-दूसरे को सुनने एवं वार्ता द्वारा सम्भव है।
संत पापा ने कहा कि युद्ध नहीं होना ही शांति नहीं है किन्तु शांति ‘न्याय का कार्य’ है। और न्याय एक सदगुण है जो धैर्यपूर्ण अनुशासन की मांग करता है। यह मांग करता है कि हम बीते अन्याय की बातों को न भूलें बल्कि क्षमा, सहिष्णुता और सहयोग द्वारा उससे उपर उठें। हम इन दिनों शांति के लिए प्रार्थना हेतु समर्पित हों।
संत पापा ने कोरियाई काथलिक कलीसिया की इच्छा को प्रकट करते हुए कहा कि वह राष्ट्र के जीवन में पूर्णतया शामिल होना चाहती है। युवाओं को शिक्षित करना, ग़रीबों के साथ सहिष्णुता की भावना में बढ़ना तथा नयी पीढ़ी में विवेक उत्पन्न करना चाहती है। संत पापा ने सभी कोरियावासियों के लिए ईश्वर से आशीष की कामना की।








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