2014-08-13 12:56:37

प्रेरक मोतीः सन्त हिप्पोलीतुस (सन् 170-235 ई.)


वाटिकन सिटी, 13 अगस्त सन् 2014:

हिप्पोलीतुस, रोमी ख्रीस्तीय कलीसिया में तीसरी शताब्दी के सर्वाधिक विख्यात ईश शास्त्री थे। उनका जन्म, लगभग 170 ई. में, रोम में ही हुआ था। कॉन्सटेनटीनोपल के फोटियोज़ प्रथम के अभिलेखों के अनुसार, हिप्पोलितुस, ईरेनियुस के शिष्य थे। हिप्पोलीतुस के कुछ विचार उनके युग के सन्त पापाओं के विचारों से मेल नहीं खाते थे और इसीलिये, तत्कालीन धर्मतत्ववैज्ञानिकों के अनुसार, उन्होंने कलीसिया के परमाध्यक्ष के विरुद्ध अपना अलग दल बना लिया था जिसके वे प्रथम शीर्ष भी नियुक्त किये गये थे। हिप्पोलीतुस के समय से ही "एन्टीपोप" अथवा सन्त पापा विरोधी दल की शुरुआत हुई थी।



ख्रीस्तीय धर्म के मूलतत्वों की कट्टरता से रक्षा करने का दावा करनेवाले, रूढ़िवादी हिप्पोलीतुस, तत्कालीन सन्त पापा कलिस्तुस के विरुद्ध इसलिये हो गये थे कि सन्त पापा ने ख्रीस्तीय धर्म अपनाने वाले ग़ैरविश्वासियों के घोर पापों को भी क्षमा कर दिया था तथा कलीसिया में उनका स्वागत किया था। सन्त पापा के इसी कृत्य से रुष्ट हिप्पोलीतुस ने अपने अनुयायियों को कलीसिया से अलग कर लिया था। सन्त पापा कलिस्तुस के बाद, सन्त पापा अरबन तथा सन्त पापा पोनशियन के विरुद्ध भी वे इसी प्रकार की लड़ाई लड़ते रहे। ईश शास्त्र के क्षेत्र में, हिप्पोलीतुस के कुछ मत सन्त पापाओं से भिन्न थे। वे ख्रीस्तीय धर्म के इस सिद्धान्त से सहमत नहीं थे कि पिता और पुत्र का तत्व एक ही है। उन्होंने जस्टिन जैसे ग्रीक धर्ममण्डकों के "लोगोस" यानि "शब्द" के धर्मसिद्धान्त को आगे बढ़ाया जिसके अनुसार पिता "शब्द" से भिन्न हैं। तथापि, हिप्पोलीतुस ने अपधर्म के विरुद्ध कई महत्वपूर्ण शोध प्रकाशित किये।


सन् 235 ई. में, रोमी सम्राट माक्सीमीनुस थ्राक्स ने, ख्रीस्तीयों पर अत्याचार करना आरम्भ कर दिया था। उसके दमनकाल में अनेक ईश शास्त्रियों एवं पुरोहितों को गिरफ्तार किया गया, कईयों को निष्कासित कर दिया गया तथा कलीसिया की सारी गतिविधियों पर कड़ा नियंत्रण लगा दिया गया। इसी समय, हिप्पोलीतुस के साथ साथ सन्त पापा पोनशियन को भी गिरफ्तार कर इटली के सारदेनिया द्वीप निष्कासित कर दिया गया था। सन्त पापा पोनशियन के संग संग रहते हिप्पोलीतुस पुनः कलीसिया के साथ आ मिले, उन्होंने पश्चाताप किया तथा सन्त पापाओं की शिक्षाओं को स्वीकार किया। सन् 235 ई. में सन्त पापा पोनशियन के साथ साथ हिप्पोलीतुस को भी ख्रीस्तीय विश्वास के ख़ातिर मार डाला गया।


सन्त पापा फेबियन (236-250 ई.) के परमाध्यक्षीय काल में, शहीद सन्त पापा पोनशियन के साथ साथ शहीद ईशशास्त्री हिप्पोलीतुस के शव को भी रोम लाया गया। 13 अगस्त, सन् 236 ई. को दोनों शहीदों के शव रोम में दफना दिये गये। सन्त हिप्पोलीतुस का शव रोम के विया तिबुरतीना में दफनाया गया। सन् 354 ई. की तैथिकी के अनुसार, लगभग 255 ई. में, हिप्पोलीतुस को काथलिक धर्म का शहीद घोषित किया गया था। सन्त हिप्पोलीतुस घुड़सवारों तथा बन्दीगृह के कर्मचारियों एवं अधिकारियों के संरक्षक सन्त हैं। शहीद सन्त हिप्पोलीतुस का पर्व 13 अगस्त को मनाया जाता है।


चिन्तनः सतत् प्रार्थना द्वारा प्रभु येसु ख्रीस्त में हम अपने विश्वास को सुदृढ़ करें तथा अपने दैनिक जीवन में सुसमाचार के साक्षी बनें।








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