नई दिल्ली, मंगलवार 05 अगस्त सन् 2014 (ऊका समाचार): भारत के ख्रीस्तीयों ने, दलितों
के अधिकारों की रक्षा के लिये, 10 अगस्त को ब्लैक डे का ऐलान किया है।
ब्लैक
डे का उद्देश्य दलित ख्रीस्तीयों एवं दलित मुसलमानों के विरुद्ध सरकार के भेदभाव का विरोध
करना है।
भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन, सीबीसीआई, चर्च इन इन्डिया की
नेशनल काऊन्सल, एनसीसीआई तथा दलित ख्रीस्तीयों की राष्ट्रीय समिति, एनसीडीसी ने 10 अगस्त
को विभिन्न स्थलों पर ख्रीस्तयाग अर्पणों तथा विशेष प्रार्थना सभाओं का आयोजन किया है।
सम्पूर्ण भारत के विभिन्न राज्यों में ख्रीस्तीय समुदायों द्वारा 10 अगस्त को
बैठकें, प्रदर्शन, रैलियाँ, अनशन-उपवास, स्मारक पत्रों की प्रस्तुति, मोमबत्ती जागरण
समारोह तथा अन्य प्रकार के प्रदर्शनों का आयोजन किया जा रहा है ताकि दलित ख्रीस्तीयों
एवं दलित मुसलमानों की व्यथा को प्रकाशित किया जा सके तथा अनुसूचित जातियों में उन्हें
शामिल करने हेतु आवाज़ उठाई जा सके।
सन् 2010 से भारत का ख्रीस्तीय समुदाय 10
अगस्त को दलितों के अधिकारों की मांग के लिये ब्लैक डे मनाता आया है क्योंकि इसी दिन,
सन् 1950 में, ख्रीस्तीय एवं मुसलमान दलितों को उनके अधिकारों से वंचित करनेवाले विवादास्पद
आदेश पर हस्ताक्षर किये गये थे।
भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के
वकतव्य में कहा गया कि दलित ख्रीस्तीयों एवं दलित मुसलमानों को अनुसूचित जातियों को मिलनेवाली
सुविधाओं से वंचित करना उनके अधिकारों का अतिक्रमण तथा धर्म पर आधारित भेदभाव का अन्यायपूर्ण
कृत्य है।
सन् 1950 के आदेश के तहत हिन्दू धर्म का पालन करनेवाले निम्न जातियों
के लोगों को शिक्षा एवं सरकारी नौकरियों में आरक्षण जैसी सुविधाएँ प्रदान की गई थीं।
आदेश में किये संशोधन के बाद से ये सुविधाएँ सिक्ख एवं बौद्ध धर्मों के दलितों को भी
मिलने लगी हैं किन्तु ख्रीस्तीय एवं इस्लाम धर्म के दलित अभी भी इन सुविधाओं से वंचित
हैं।