2014-08-02 08:55:21

प्रेरक मोतीः लिडिया थियातीरा (पहली शताब्दी)


वाटिकन सिटी, 03 अगस्त सन् 2014:

लिडिया थियातीरा का जन्म, पहली शताब्दी में, एशिया माईनर के अक-हिस्सार नगर में हुआ था। बताया जाता है कि लिडिया ख्रीस्तीय धर्म का आलिंगन करनेवाले अक-हिस्सार के लोगों में से सबसे पहली महिला थीं। अक-हिस्सार कपड़े रंगने के काम के लिये मशहूर था। यहाँ, विशेष रूप से, बैंगनी रंग के कपड़े रंगे जाते थे और लिडिया एवं उनका परिवार इन्हीं कपड़ों का व्यापार करता था, इसी कारण उन्हें लिडिया यानि बैंगनी रंग बेचनेवाली का नाम दे दिया गया था।


फिलिप्पी में प्रेरितवर सन्त पौल द्वारा सुसमाचार के प्रचार से कई लोगों ने ख्रीस्तीय धर्म का आलिंगन किया था इनमें सर्वप्रथम थीं लिडिया। अपने सम्पूर्ण परिवार सहित लिडिया ने सन्त पौल से बपतिस्मा ग्रहण किया था। कई माहों तक सन्त पौल लिडिया के घर में मेहमान भी रहे थे।


प्रेरित चरित ग्रन्थ के 16 वें अध्याय में हम धर्मपरायण एवं दयावान महिला लिडिया के विषय पढ़ते हैं: "वहाँ से हम फिलिप्पी पहुँचे। फिलिप्पी मकेदूनिया प्रान्त का मुख्य नगर और रोमन उपनिवेश है। हम कुछ दिन वहाँ रहे। विश्राम के दिन हम यह समझ कर शहर के बाहर नदी के तट आये कि वहाँ कोई प्रार्थनागृह होगा। हम बैठ गये और वहाँ एकत्र स्त्रियों से बातचीत करते रहे। सुनने वाली महिलाओं में एक का नाम लुदिया था और वह थुआतिरा नगर की रहने वाली थी। वह बैंगनी कपड़ों का व्यापार करती और ईश्वर पर श्रद्धा रखती थी। प्रभु ने उसके हृदय का द्वार खोल दिया और उसने पौलुस की शिक्षा स्वीकार कर ली। सपरिवार बपतिस्मा ग्रहण करने के बाद लुदिया ने हम से यह अनुरोध किया, ''आप लोगों ने माना है कि मैं सचमुच प्रभु में विश्वास करती हूँ, तो आइए, मेरे यहाँ ठहरिए''। और उसने इसके लिए बहुत आग्रह किया।"


सन्त लिडिया का पर्व 03 अगस्त को मनाया जाता है।


चिन्तनः आतिथेय एवं एकात्मता हेतु सन्त लिडिया हमारी आदर्श बनें।








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