जेनेवा, स्वीटज़रलैंड, शुक्रवार 25 जुलाई, 2014 (सीएनए) जेनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र
संघ के कार्यालय में मानवाधिकार कौंसिल की विशेष सभा को संबोधित करते हुए वाटिकन के स्थायी
पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष सिल्वानो मरिया तोमसी ने इस्राएल और फिलीस्तीन के बीच चल रहे
युद्ध को तुरन्त समाप्त करने और वार्ता के पहल करने की अपील की है। महाधर्माध्यक्ष
तोमसी ने कहा कि हिंसा से कदापि कोई लाभ नहीं होता। हिंसा से दुःख, बरबादी और विनाश बढ़ता
है और यह शांति के सपने को कदापि पूरा होने नहीं देगा। वाटिकन के स्थायी पर्यवेक्षक
ने उक्त बातें उस समय कहीं जब उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ के 21वें विशेष सत्र में
मानवाधिकार कौंसिल की सभा में 23 जुलाई बुधवार को संबोधित किया। उन्होंने अपने वक्तव्य
में संत पापा फ्राँसिस की उन बातों को उद्धृत किया जिसे पोप ने मध्यपूर्वी राष्ट्रों
की अपनी प्रेरितिक यात्रा के दौरान 25 मई को बेथलेहेम में कहा था। उन्होंने कहा था कि
प्रत्येक व्यक्ति के अधिकार और आपसी सुरक्षा के लिये एक ऐसा वातावरण बनाने का प्रयास
किया जाये जिससे न्याय के आधार पर स्थायी शांति का वातावरण बन सके।
महाधर्माध्यक्ष
तोमसी ने कहा कि जिस गति से लोग हिंसा के शिकार हो रहे हैं, घायल हो रहे हैं और पलायन
को मजबूर हो गये हैं विशेष करके फिलीस्तीन के ग़ज़ा पट्टी में, उससे लगता है कि विवेक
की आवाज़ हथियारों के शोर से दब गये हैँ।
संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि युद्धग्रस्त
क्षेत्रों में जितने लोग मारे गये हैं उसमें फिलीस्तीन क्षेत्र में 70 प्रतिशत लोग निर्दोष
लोग है।
विदित हो कि ग़ज़ा पट्टी क्षेत्र में बमबारी और रॉकेट हमलों से इस्राएल
के 32 और करीब 700 फिलीस्तीनी मारे जा चुके हैं और इसकी संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही
है।
महाधर्माध्यक्ष ने अन्तराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि वे अपनी ज़िम्मेदारी
निभाने से न कतरायें और दोनों पक्षों को इस बात के लिये मदद दें कि क्षेत्र में शांति
व्यवस्था कायम हो सके और लोग आपसी समझदारी और विश्वास के साथ जीवन यापन कर सकें।