मुम्बईः क्रूस पर हमले का ख्रीस्तीयों ने किया विरोध
मुम्बई, 16 जुलाई सन् 2014 (ऊका समाचार): मुम्बई में क्रूस पर ध्वंसकों के हमले के बाद
पुलिस द्वारा एक काथलिक को गिरफ्तार किये जाने का ख्रीस्तीय धर्मानुयायी कड़ा विरोध कर
रह हैं।
सोमवार को सैकड़ों ख्रीस्तीयों ने आन्जेलो परेरा की गिरफ्तारी के विरोध
में प्रदर्शन किया। पुलिस का आरोप है कि विले पार्ले के एलआईसी कम्पाऊन्ड में स्थित क्रूस
की प्रतिमा को भंग करने के लिये आन्जेलो परेरा ही ज़िम्मेदार है। 15 जुलाई को परेरा को
अदालत में पेश हेना था।
कैथोलिक सेक्युलर फोरम (सीएसएफ), महाराष्ट्र क्रिश्चियन
यूथ फोरम (एमसीवाईएफ) तथा उत्कंठित काथलिकों के संगठन (एओसीसी) ने संयुक्त रूप से विरोध
प्रदर्शन का आयोजन कर इस बात को रेखांकित किया कि विले पार्ले स्थित क्रूस की उसी प्रतिमा
पर दूसरी बार आक्रमण किया गया था। इससे पूर्व लोकसभा चुनाव की तैयारी के दौरान इस पर
हमला हुआ था।
कैथोलिक सेक्युलर फोरम (सीएसएफ) के जोसेफ डायस ने कहा कि अभी
कुछ ही माहों में विधान सभा के लिये चुनाव होनेवाले हैं इसलिये उनका विश्वास है कि साम्प्रदायिक
आधार पर मतदाताओं में फूट डालना विध्वंसकों का इरादा था। अपनी बात पर ज़ोर देते हुए उन्होंने
कहा कि कुछ ही दिन पहले, एलआईसी सुरक्षा अधिकारी ने बिजली आपूर्तिकर्ता, रिलायंस एनर्जी
से क्रूस की प्रतिमा को प्रकाशमान करनेवाली तथा सीसीटीवी को संचालित करनेवाली बिजली काट
दी थी जिससे साफ़ पता चलता है कि क्रूस पर हमला पूर्वनियोजित था।
उक्त ख्रीस्तीय
समूहों की प्रेस विज्ञप्ति में इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराया गया कि पुलिस ने सिर्फ़
एक मादक व्यसनी की गवाही के आधार पर आन्जेलो परेरा को गिरफ्तार किया है तथा कई अन्य संदिग्धों
पर कोई कार्रवाई नहीं की है। पुलिस ने एलआईसी सुरक्षा अधिकारी पर भी कोई कार्रवाई नहीं
की जिसकी "सतर्क नज़रों" के सामने क्रूस की प्रतिमा स्थापित थी।
मुम्बई के
महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल ऑस्वल्ड ग्रेशियस ने ख्रीस्तीयों से शांति बनाये रखने तथा अपराधियों
के लिये प्रार्थना की अपील की है। तथापि, इस बात की उन्होंने शिकायत की कि 15 दिसम्बर
2013 में पहली बार जब विले पार्ले के क्रूस की प्रतिमा पर हमला हुआ था उसकी जाँचपड़ताल
की कोई रिपोर्ट न तो विले पार्ले के ईसाई समुदाय के पास और न ही मुम्बई महाधर्मप्रान्त
के पास पहुँची है।