नई दिल्लीः मानवाधिकार योद्धा चाहते हैं कन्धमाल दिवस
नई दिल्ली, 16 जुलाई. 2014 (ऊका समाचर): भारत के मानवाधिकार कार्यकर्त्ता छः वर्ष पूर्व
ओडिशा के कन्धमाल ज़िले में हुई ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा के शिकार हुए लोगों को न्याय
दिलाने हेतु "कन्धमाल दिवस" मनाये जाने के लिये अभियान चला रहे हैं।
"द
नेशनल सोलीडेरिटी फोरम" अर्थात् राष्ट्रीय एकात्मता मंच नामक मानवाधिकार संगठनों के संघ
ने सामाजिक कार्यकर्त्ताओं से अपील की है कि वे 25 अगस्त, सन् 2008 को ओडिशा में हुई
ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा के शिकार हुए लोगों को न्याय का आश्वासन देने के लिये "कन्धमाल
दिवस" घोषित करने में सहायता प्रदान करें।
सोलीडेरिटी फोरम की यह अपील, मीडिया
कर्मियों, पत्रकारों, कानून के विशेषज्ञों, कलाकारों, फिल्म निर्माताओं, लेखकों एवं नागर
समाज सम्बन्धी संगठनों को प्रेषित की गई।
ग़ौरतलब है कि 2008 के अगस्त माह
में आरम्भ ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा लगभग तीन माहों तकजारी रही थी जिसमें लगभग 100 व्यक्तियों
के प्राण चले गये थे, 50,000 व्यक्ति विस्थापित हो गये थे तथा कई गिरजाघरों, ख्रीस्तीय
आवासों, स्कूलों एवं आश्रमों को आग के हवाले कर दिया गया था। पुलिस को 3,300 से अधिक
शिकायतें मिली थी जिनमें केवल 820 पंजीकृत की गई। लगभग 200 मामलों पर अदालती कार्रवाई
चल रही है।