2014-07-12 11:43:41

प्रेरक मोतीः सन्त हेनरी (972-1024 ई.)
(13 जुलाई)


वाटिकन सिटी, 13 जुलाई सन् 2014:

सन्त हेनरी जर्मनी के बावेरिया प्रान्त के ड्यूक हेनरी के पुत्र थे जिनका जन्म छः मई सन् 972 ई. को हुआ था। रातिसबोन के काथलिक धर्माध्यक्ष सन्त वोल्फगांग के अधीन रहकर हेनरी ने उत्कृष्ट शिक्षा प्राप्त की थी। चूँकि हेनरी के पिता, ड्यूक हेनरी, पूर्व सम्राटों का विरोध किया करते थे हेनरी को अपना अधिकाधिक समय निष्कासन में व्यतीत करना पड़ा था। इसी के चलते, बाल्यकाल में ही, वे कलीसिया धर्म और विश्वास के प्रति आकर्षित हुए। बचपन में उनका सम्पर्क फ्राईसिंग के धर्माध्यक्ष से हुआ जिनके वे इष्ट मित्र बन गये। बाद में हिलडेसहाईम के महागिरजाघर के काथलिक स्कूल में उन्होंने स्कूली शिक्षा पूरी की। सन् 995 ई. में हेनरी, हेनरी चतुर्थ शीर्षक से, अपने पिता यानि बावेरिया के ड्यूक हेनरी के उत्तराधिकारी बने। सन् 1002 ई. में जर्मनी तथा सन् 1004 में इटली के सम्राट रूप में हेनरी का मुकुटाभिषेक सम्पन्न हुआ तथा सन् 1014 ई. में वे ऑटोनियन वंश के पाँचवे सम्राट बने।


सम्राट पद पर रहते उन्होंने ईश्वर, सृष्टि, धर्म और विश्वास के महान एवं अनन्त सत्यों को दृढ़तापूर्वक अपने जीवन में कायम रखा, ध्यान और मनन चिन्तन द्वारा साधना में समय व्यतीत किया, शासन करते समय सबकी की प्रतिष्ठा एवं मर्यादा का सम्मान किया तथा अपने सभी कार्यों में ईश्वर की महिमा की खोजी। कलीसिया की देखरेख उन्होंने बड़ी सूझबूझ के साथ की तथा धर्माध्यक्षों द्वारा कलीसियाई जीवन में अनुशासन को बनाये रखा। सन् 1014 ई. में वे रोम गये जहाँ तत्कालीन सन्त पापा बेनेडिक्ट आठवें द्वारा उनका मुकुटाभिषेक किया गया। परिस्थितियों ने कई बार सम्राट हेनरी को युद्धों के लिये भेजा जिनसे वे सदैव विजयी होकर लौटे।


विनम्रता एवं न्याय की भावना से वे ओत् प्रोत् थे। बताया जाता है कि ग़ैरसमझदारी की वजह से एक बार कोलोन के धर्माध्यक्ष से वे उपेक्षाभाव से पेश आये थे किन्तु अपनी ग़लती का एहसास होने पर उन्होंने उनसे क्षमा याचना कर ली थी। हेनरी तथा उनकी धर्मपत्नी सन्त कुनेगुन्दुस ने अपनी मूल शपथ का पालन करते हुए चिर कौमार्य में जीवन यापन किया। सम्राट हेनरी ने अपने शासन काल में कई लोकोपकारी संस्थाओं की स्थापना की तथा उदारता पूर्वक दान दिया। उन्होंने कई गिरजाघरों का भी निर्माण करवाया जिनमें बामबेर्ग का महागिरजाघर भी शामिल है। 13 जुलाई सन् 1024 ई. को हालबेर्स्टाड में सम्राट हेनरी चतुर्थ का निधन हो गया था। जर्मन राजाओं में हेनरी चतुर्थ एकमात्र राजा थे जिन्हें सन्त घोषित किया गया है। सन्त हेनरी का पर्व 13 जुलाई को मनाया जाता है। सन्त हेनरी निःसन्तान माता पिताओं, ड्यूकों, विकलांगों एवं धर्मसमाजों से बहिष्कृत लोगों के संरक्षक सन्त हैं।


चिन्तनः "पुत्र! यदि तुम प्रभु की सेवा करना चाहते हो, तो विपत्ति का सामना करने को तैयार हो जाओ। तुम्हारा हृदय निष्कपट हो, तुम दृढ़संकल्प बने रहो, विपत्ति के समय तुम्हारा जी नही घबराये। ईश्वर से लिपटे रहो, उसे मत त्यागो, जिससे अन्त में तुम्हारा कल्याण हो। जो कुछ तुम पर बीतेगा, उसे स्वीकार करो तथा दुःख और विपत्ति में धीर बने रहो; क्योंकि अग्नि में स्वर्ण की परख होती है और दीन-हीनता की घरिया में ईश्वर के कृपापात्रों की" (प्रवक्ता ग्रन्थ 2:1-5)।








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