2014-07-11 11:32:13

वाटिकन सिटीः विश्व पर्यटन दिवस 2014 के लिये परमधर्मपीठीय आप्रवासी परिषद का सन्देश


वाटिकन सिटी, 11 जुलाई सन् 2014 (सेदोक): 27 सितम्बर को विश्व पर्यटन दिवस 2014 के उपलक्ष्य में परमधर्मपीठीय आप्रवासी परिषद ने शुक्रवार को अपना सन्देश प्रकाशित किया। इसका शीषर्क हैः "पर्यटन एवं सामुदायिक विकास"।

सन्देश में कहा गया कि काथलिक कलीसिया की सामाजिक शिक्षा में सामुदायिक विकास के विस्तृत आयाम को जगह दी गई है ताकि पर्यटन एक ऐसी गतिविधि हो जो मानव के अखण्ड विकास के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़ी रहे।

इस सन्दर्भ में सन्त पापा पौल षष्टम के विश्व पत्र "पोपुलोरुम प्रोग्रेसियो" का स्मरण दिलाया गया है जिसमें सन्त पापा पौल षष्टम इस तथ्य की पुष्टि करते हैं कि विकास का अर्थ केवल आर्थिक विकास नहीं होता। यथार्थ विकास को अखण्ड और पूर्ण विकास होना चाहिये जिसका अर्थ है प्रत्येक मानव एवं सम्पूर्ण मानवजाति का विकास।

अखण्ड विकास का अर्थ स्पष्ट करते हुए परमधर्मपीठीय परिषद के सन्देश में कहा गया कि पर्यटन के क्षेत्र में विकास यथार्थ एवं वास्तविक तब ही कहला सकता है जब वह आर्थिक, सामाजिक एवं पर्यावरणीय तीनों क्षेत्रों में बराबर विकास को जगह दे।
सन्देश में कहा गया कि पर्यटन आर्थिक विकास का मौलिक स्रोत है जिससे देश की अर्थव्यवस्था मज़बूत होती, नौकरियों के अवसरों की रचना होती तथा विश्व स्तर पर निर्यात को प्रोत्साहन मिलता है इसीलिये इस क्षेत्र को मानव केन्द्रित रखकर विश्व के कई क्षेत्रों से निर्धनता को दूर किया जा सकता है तथा लोगों के बीच सांस्कृतिक आदान प्रदान को प्रोत्साहित किया जा सकता है।

पर्यटन के नैतिक पक्ष पर ध्यान आकर्षित कराते हुए सन्देश में कहा गया कि यह अनिवार्य है कि पर्यटन का लाभ केवल कुछेक स्वार्थगत व्यापारियों एवं उद्योगपतियों को ही न मिले बल्कि इसका लाभ स्थानीय समुदायों एवं परिवारों को मिले। साथ ही इसमें स्थानीय पर्यावरण तथा स्थानीय संस्कृतियों एवं परम्पराओं का सम्मान किया जाये।

परमधर्मपीठीय आप्रवासी परिषद के अध्यक्ष कार्डिनल अन्तोनियो मरिया वेलियो तथा परिषद के सचिव मान्यवर जोसफ कालाथिपरमपिल ने उक्त सन्देश पर हस्ताक्षर किये।








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