प्रेरक मोतीः सन्त ग्रिमबाल्द (सन् 827 – सन् 901 ई.)
वाटिकन सिटी, 08 जुलाई सन् 2014:
ग्रिमबाल्द बेनेडिक्टीन धर्मसमाजी मठवासी भिक्षु
थे जिन्हें सन् 885 ई. में सम्राट आलफ्रेड ने इंगलैण्ड आने का निमंत्रण दिया था। ग्रिमबाल्द
इंगलैण्ड पहुँचे किन्तु कैनटरबरी की धर्माध्यक्षीय पीठ ग्रहण करने के बजाय भिक्षु बना
रहना पसन्द किया। तदोपरान्त, सम्राट एडवर्ड द्वारा विनचेस्टर में वे न्यूमिन्स्टर मठ
के मठाध्यक्ष नियुक्त कर दिये गये।
इंगलैण्ड में शिक्षा के विकास का श्रेय
मठाध्यक्ष सन्त ग्रिमबाल्द को ही जाता है जिन्होंने इंग्लैण्ड वासियों को प्रज्ञा से
आलोकित किया तथा इंग्लैण्ड को शिक्षा के गढ़ रूप में ख्याति दिलवाई। बेनेडिक्टीन मठवासी
भिक्षु, सन्त ग्रिमबाल्द का पर्व दिवस, 08 जुलाई को, मनाया जाता है।
चिन्तनः
"पृथ्वी के शासको! न्याय से प्रेम रखो। प्रभु के विषय में ऊँचे विचार रखो और निष्कपट
हृदय से उसे खोजते रहो; क्योंकि जो उसकी परीक्षा नहीं लेते, वे उसे प्राप्त करते हैं।
प्रभु अपने को उन लोगों पर प्रकट करता है, जो उस पर अविश्वास नहीं करते (प्रज्ञा ग्रन्थ
1: 1-2)।"