2014-07-07 20:12:11

शरिया कोर्ट क़ानूनी नहीं: सुप्रीम कोर्ट


नयी दिल्ली, सोमवार, 7 जुलाई, 2014 (बीबीसी) भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि शरिया अदालतों को क़ानूनी मान्यता नहीं है।
अदालत ने कहा कि किसी भी व्यक्ति के ख़िलाफ़ फ़तवा जारी नहीं किया जा सकता अगर उससे उस व्यक्ति के अधिकारों का हनन होता हो।
कोर्ट का कहना था कि दारूल कज़ा किसी शख्स के खिलाफ़ तबतक कोई फ़तवा जारी न करें जबतक कि उस व्यक्ति ने ख़ुद इसके बारे में मांग न की हो।
अदालत समानांतर अदालतों की कारवाई पर विश्व लोचन मदन की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
याचिकाकर्ता का कहना था कि शरिया अदालतें ग़ैर क़ानूनी हैं क्योंकि वो समानांतर कोर्ट के तौर पर काम करती हैं और मुल्क में रहने वाले मुसलमानों के सामाजिक और धार्मिक आज़ादी से जुड़े मामलों पर फ़ैसले लेती रहती हैं।
उनका कहना था कि मुसलमानों की मूलभूत अधिकारों पर किसी काज़ी, मुफ़्ती या धार्मिक संगठन के जरिये रोक नहीं लगाई जा सकती।
विश्व लोचन मदन ने एक उदाहरण देते हुए कहा था कि एक औरत को एक फ़तवे के बाद अपने पति को छोड़कर ससुर के साथ रहने को मजबूर होना पड़ा था।













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