2014-07-07 20:10:06


जेनेवा, सोमवार 7 जुलाई, 2014 (सेदोक,वीआर) जेनेवा में संयुक्त राष्ट्रसंघ की मानवाधिकार संबंधी स्टैडिंग कमिटी की 60 सभा में वाटिकन स्थायी पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष सिल्वानो एम. थोमसी ने विश्व में व्याप्त प्रवासियों की समस्या पर ध्यान खींचा।
वाटिकन पर्यवेक्षक तोमसी ने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद करीब 50 मिलियन लोगों ने अपने घर छोड़ा है और प्रवासी बन गये हैं। प्रवासी बनने को मजबूर होने का कारण, वर्षों से एक ही प्रकार का रहा है जिससे सारा विश्व परिचित है।
विभिन्न प्रकार की प्रताड़नायें, मानवाधिकारों का हनन, सशस्त्र युद्ध या विवाद, जीवन को तबाह करने वाली गरीबी आदि इसके मुख्य कारण रहे हैं। इसके साथ विभिन्न प्राकृतिक विपदायें भी इसके लिये ज़िम्मेदार रहीं हैं।
महाधर्माध्यक्ष ने प्रवासियों की समस्या के निदान का उपाय बतलाते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ में प्रवासियों के उच्च कमिश्नर डॉ. गेर्रित जान वान हेवन गोएहार्ट द्वारा सुझाये गये समाधान को दुहराते हुए कहा कि प्रवासियों की समस्या मात्र निवास की नहीं है या उनके मकान में छत्त होने की नहीं है। प्रवासियों को चाहिये - मर्यादापूर्ण स्वतंत्रता ।
उन्होंने कहा कि प्रवासियों हर तरह से अपने अधिकारों तथा कर्त्तव्यों से वंचित कर दिये जाते हैं इसलिये उन्हें मात्र कुछ सेवायें नहीं बल्कि उन्हें एक ऐसी सुरक्षा चाहिये जिसके द्वारा मानवाधिकार और मर्यादा के मूल्यों तथा सिद्धांतों का सम्मान मिले।
वाटिकन पर्यवेक्षक ने कहा कि यूरोप के लिये यह आवश्यक है कि एक सामुहिक कार्ययोजना को अमल किया जाये ताकि किसी में यूरोपीय देश में एक प्रवासी के पहुँचने पर इसका दायित्व सिर्फ़ किसी एक राष्ट्र पर न पड़े।
प्रवासियों को शिक्षा और जनता को इसके प्रति जानकारी दी जाये ताकि इसके द्वारा सभी मिलजुल कर प्रवासियों की समस्या का समाधान कर सकें और सम्मानपूर्ण मानव जीवन व्यतीत करने लिये एक – दूसरे की उचित सहायता मिल सके।











All the contents on this site are copyrighted ©.