प्रेरक मोतीः पुर्तगाल की सन्त एलीज़ाबेथ (1271-1336) (4 जुलाई)
वाटिकन सिटी, 04 जुलाई सन् 2014:
एलीज़ाबेथ स्पेन की राजकुमारी थी। जब वे 12
वर्ष की थीं तब उनका विवाह पुर्तगाल के राजा डेनिस से कर दिया गया था। अपने सौन्दर्य
एवं मृदुल व्यवहार के कारण राजकुमारी राजदरबार में सभी की प्रिय थीं। बाल्यकाल से ही
धर्म एवं आध्यात्म के प्रति उनका आकर्षण रहा था तथा प्रति दिन वे ख्रीस्तयाग में शामिल
हुआ करती थी। पुर्तगाल के राजा डेनिस की पत्नी बन जाने के बाद भी एलीज़ाबेथ ने धर्म और
ईश्वर के प्रति आस्था में कमी नहीं आने दी। पहले पहल पति डेनिस अपनी पत्नी एलीज़ाबेथ
से बहुत प्यार करते थे किन्तु बाद में उन्हें तकलीफ़ देने लगे थे। प्रार्थना एवं सदगुणों
के प्रति पत्नी की रुचि में वे शामिल नहीं हो सके तथा सांसारिक भोग विलास में लगे रहे।
राजनीति में भी एलीज़ाबेथ ने रुचि ली तथा राजा डेनिस एवं कास्तीले के राजा सान्खो
चतुर्थ के बीच सम्पन्न सन्धि में सक्रिय हिस्सा लिया। इसी सन्धि ने स्पेन तथा पुर्तगाल
की सीमाओं का निर्धारण किया था। एलीज़ाबेथ तथा राजा डेनिस की दो सन्तानें थीं। पुत्री
कॉन्सतान्स विवाह में कास्तीले के राजा फरडीनान्द को दे दी गई थी तथा पुत्र आफोन्सो बाद
में पुर्तगाल के राजा आफोन्सो बने।
राजा डेनिस की कमज़ोरियों के बावजूद रानी
एलीज़ाबेथ सदैव उनका साथ निभाती रहीं तथा रोगावस्था में उनकी देखभाल करती रहीं। सन् 1325
ई. में राजा डेनिस का निधन हो गया जिसके बाद रानी एलीज़ाबेथ ने अपना सम्पूर्ण जीवन निर्धनों
एवं ज़रूरतमन्दों की सेवा में व्यतीत कर दिया। सबके लिये वे उदारता एवं शांति की आदर्श
थीं। पति की मौत के 11 वर्षों बाद सन् 1336 ई. में पुर्तगाल की रानी एलीज़ाबेथ का भी
निधन हो गया। एलीज़ाबेथ की मृत्यु के बाद उनकी मध्यस्थता से कई चमत्कार हुए। सन् 1526
ई. में उन्हें धन्य घोषित कर दिया गया तथा 25 मई सन् 1625 ई. को सन्त पापा अरबन आठवें
ने उन्हें सन्त घोषित कर वेदी का सम्मान प्रदान कर दिया। पुर्तगाल की एलीज़ाबेथ का पर्व
04 जुलाई को मनाया जाता है।
चिन्तनः सन्त एलीज़ाबेथ की जीवनी हमें सांसारिक
सुख वैभव का परित्याग कर धर्मपरायण जीवन यापन की प्रेरणा प्रदान करे।