वाटिकन सिटीः सांसारिक सत्ताओं पर निर्भर न रहें अपितु ईश्वर में शरण की खोज करें, सन्त
पापा फ्राँसिस
वाटिकन सिटी, 30 जून सन् 2014 (सेदोक): सन्त पापा फ्रांसिस ने कहा है कि व्यक्ति सांसारिक
सत्ताओं पर निर्भर न रहे बल्कि ईश्वर की शरण जाये जो हमें भय तथा हर प्रकार की दासता
से मुक्त करते हैं। रविवार, 29 जून को, रोम के संरक्षक सन्तों, पेत्रुस एवं पौलुस,
के महापर्व के दिन सन्त पेत्रुस महागिरजाघर में ख्रीस्तयाग के अवसर पर सन्त पापा फ्राँसिस
ने प्रेरित चरित ग्रन्थ में निहित राजा हेरोद के उत्पीड़न एवं सन्त पेत्रुस के बन्दीगृह
से रिहाई की घटना पर चिन्तन प्रस्तुत किया।
सन्त पापा ने कहा कि जिस प्रकार पेत्रुस
को प्रभु ने हेरोद के कारावास से मुक्ति दिलाई थी उसी प्रकार उनमें विश्वास करनेवालों
को मुक्ति मिलेगी तथा वे भय एवं हर प्रकार की दासता से मुक्ति प्राप्त करेंगे।
सन्त
पेत्रुस एवं सन्त पौलुस के महापर्व के दिन ही इस वर्ष नियुक्त महाधर्माध्यक्षों को पाल्लियुम
अर्थात् अम्बरिकाएँ प्रदान की गई जो रोम के परमाध्यक्ष तथा विश्व के समस्त धर्माध्यक्षों
के बीच गहन सम्बन्ध का प्रतीक है।
अपनी प्रेरितिक ज़िम्मेदारियों का साहसपूर्वक
निर्वाह करने का महाधर्माध्यक्षों से आग्रह कर सन्त पापा ने कहा कि सन्त् पेत्रुस का
साक्ष्य हमें इस बात का स्मरण दिलाता है कि प्रेरितिक जीवन में सुरक्षा के लिये हम सांसारिक
सत्ताओं पर दृष्टि न लगायें और न ही अहंकारवश अपनी सन्तुष्टि खोज़ें अपितु ईश्वर में
अपने विश्वास को मज़बूत करते हुए उन्हीं में सुरक्षा एवं शरण प्राप्त करें।
सन्त
पापा ने स्मरण दिलाया कि पेत्रुस ने भय के कारण येसु को तीन बार इनकार कर दिया था जिसके
लिये वह स्वतः को कभी माफ़ नहीं कर सका। उसे अपने आप पर एवं अपनी शक्ति पर भरोसा नहीं
रहा इसलिये उसने स्वतः को प्रभु येसु एवं उनकी करुणा के सिपुर्द कर दिया और कहाः "प्रभु
आप सब कुछ जानते हैं, आप जानते है कि मैं आपसे प्रेम करता हूँ।" सन्त पापा ने कहा कि
इन शब्दों के उच्चार के क्षण ही पेत्रुस का भय, उसकी असुरक्षा एवं कायरता ग़ायब हो गई।
सन्त पापा ने कहाः "पेत्रुस ने यह अनुभव किया कि ईश्वर की सत्यनिष्ठा हमारे
विश्वासघाती कृत्यों से महान होती है। वह हमारे इनकार से कहीं अधिक बलशाली होती है। ईश्वर
की सत्यनिष्ठा हमारे भय को मिटाती तथा हर मानवीय अनुमान से श्रेष्ठकर होती है।"