2014-06-28 15:47:06

प्यार का मतलब लेने से अधिक देना


वाटिकन सिटी शनिवार 2014 (वीआर अंग्रेजी)꞉ ″ईश्वर एक दयालु पिता के समान हैं जो हमारा हाथ पकड़ कर चलते हैं अतः हमें एक छोटे बालक की तरह उनके साथ बात-चीत करना है।″ यह बात संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार 27 जून को, वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मार्था के प्रार्थनालय में पावन ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में कही।
येसु के पवित्रतम हृदय को समर्पित महापर्व पर प्रवचन में संत पापा ने ईश्वर तथा उनकी प्रजा के बीच प्रेम की प्रकृति पर चिंतन प्रस्तुत किया। उन्होंने इस त्यौहार को येसु में ईश्वर के प्यार का उत्सव कहा।
संत पापा ने कहा, ″इस प्यार के दो पहलू हैं। पहला, प्यार का मतलब है लेने से अधिक देना। दूसरा है बात से अधिक काम। उन्होंने कहा कि प्यार लेने की अपेक्षा देना है क्योंकि प्यार एक संबंध है और यह बांटता है। जो उसे स्वीकार करता है वह प्यार किया गया है। जब हम कहते हैं कि प्यार बात की अपेक्षा कार्य है तो इस लिए क्योंकि प्यार जीवन प्रदान करता है तथा हमें बढ़ाता है।″
संत पापा ने कहा कि ईश्वर के प्यार को समझने के लिए हमें एक छोटे बालक के समान बनना चाहिए। ईश्वर हमसे आशा करते हैं कि हमारा संबंध, एक पिता और पुत्र के बीच का संबंध हो। ईश्वर हमसे दुलार से कहते हैं मैं तुम्हारे साथ हूँ।
संत पापा ने कहा कि यही ईश्वर का स्नेह एवं उनकी कोमलता है। यही हमें स्नेहिल बनने का बल प्रदान करता है पर यदि हम अनुभव करते हैं कि हम मजबूत हैं तो हम ईश्वर के उस लाड़-प्यार का अनुभव कदापि नहीं कर पायेंगे। उनका दुलार अजीब है। वे कहते हैं- डरो नहीं, मैं तुम्हारे साथ हूँ मैं तुम्हारा हाथ पकड़ कर चलूँगा। ईश्वर के ये वचन हमें उनके प्यार के रहस्य को समझने में मदद देते हैं। येसु पिता के प्यार के हकदार हैं तथापि जब वे अपने बारे में बतलाते हैं तो कहते हैं, ″मैं स्वभाव से विनम्र और विनीत हूँ।″
संत पापा ने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा कि ईश्वर सदा हमारी नज़रों के सामने हैं हमारा इन्तजार कर रहे हैं हम उनसे कृपा की याचना करें ताकि उनके प्यार के रहस्य में प्रवेश कर सकें।








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