2014-06-25 12:05:31

प्रेरक मोतीः वरचेल्ली के सन्त विलियम (1085 ई.-1142 ई.)
(25 जून)


वाटिकन सिटी, 25 जून सन् 2014:

वरचेल्ली के विलियम इटली के एक सन्त हैं जिनका जन्म वरचेल्ली में, सन् 1085 ई. में हुआ था। बाल्यकाल में ही उनके माता पिता चल बसे थे जिसके कारण एक अनाथ आश्रम में उनका लालन पालन हुआ।


स्पेन के कोम्पोस्तेला की तीर्थयात्रा करने के बाद विलियम ने ईश्वर एवं मानव की सेवा के प्रति समर्पण का मन बना लिया था। एकान्त जीवन यापन हेतु उन्होंने मोन्ते वेरजिने पहाड़ी को चुना। उनके त्याग, तपस्या एवं समर्पण ने अनेकों को आकर्षित किया जो उनके अनुयायी हो गये तथा उन्हीं के संग भिक्षु जीवन व्यतीत करने लगे। सन् 1119 ई. में, उनके मठवासियों को, बेनेडिक्टीन धर्मसमाजी मठ के साथ एक होने की अनुमति मिल गई और तब से "मोन्ते वेरजिने के विलियम मठवासी" नाम से उन्हें अपनी अलग पहचान मिली।


अनुशासन, संयम एवं तपस्या की अति के कारण बहुत से मठवासियों ने विलियम का विरोध किया जिसकी वजह से वे अपने द्वारा स्थापित मोन्ते वेरजिने के मठ से दूर चले गये। इसी समय, नेपल्स शहर के रॉजर प्रथम का उन्हें संरक्षण मिला जिन्होंने उन्हें सालेरनो नगर में एक मठ के निर्माण हेतु आमंत्रित किया। तदोपरान्त, वरचेल्ली के विलियम ने सम्पूर्ण नेपल्स शहर एवं उसके आसपास के क्षेत्रों में कई काथलिक मठों का निर्माण किया। सन् 1142ई. में, इटली के नुस्को के निकट स्थित गुलियेलमो मठ में उनका निधन हो गया। वरचेल्ली के सन्त विलियम को मोन्ते वेरजिने के सन्त विलियम नाम से भी जाना जाता है। उनका पर्व 25 जून को मनाया जाता है।




चिन्तनः त्याग-तपस्या, अनुशासन एवं संयम द्वारा ईश्वर की खोज में लगे रहें।








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