2014-06-24 12:08:57

कुआला लुम्पुरः मलेशिया की सर्वोच्च अदालत ने 'अल्लाह' शब्द पर लगे प्रतिबंध को रखा जारी


कुआला लुम्पुर, 24 जून सन् 2014 (एपी): मलेशिया की सर्वोच्च अदालत ने 'अल्लाह' शब्द पर लगे प्रतिबंध को जारी रखते हुए सोमवार को फैसला सुनाया कि "अल्लाह" शब्द सिर्फ मुसलमानों का है।

मलयेशियाई सरकार ने ग़ैरमुसलमानों के लिये "अल्लाह " शब्द के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी। अदालत ने उस रोक को सही ठहराया है। अदालत ने काथलिक कलीसिया के इस तर्क को खारिज कर दिया कि इससे मुस्लिम बहुल देश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन होता है। सात न्यायाधाशों की बेंच में से तीन ने फैसले के विरोध में अपना मत दिया था।

मलयेशिया के संविधान में धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी दी गई है किन्तु देश में अल्पसंख्यक हिंदू, बौद्ध एवं ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों को यह शिकायत रही है सरकार और अदालतों में उनके साथ निष्पक्ष व्यवहार नहीं होता। हालांकि सरकार इस आरोप को खारिज करती रही है।

अदालत के फैसले पर द हेरल्ड काथलिक समाचार पत्र के संपादक फादर लॉरेंस ऐंड्रयू ने कहा, "हम निराश हैं। जिन चार न्यायाधीशों ने हमारी अपील के अधिकार को खारिज कर दिया, वे अल्पसंख्यकों के मूलभूत अधिकारों तक नहीं पहुंच पाए।" उन्होंने कहा कि इससे धर्मपालन के अधिकारों का उल्लंघन होगा।

"अल्लाह" ईश्वर के लिये प्रयुक्त अरबी भाषा का शब्द है जिसे मलय भाषा में भी ईश्वर के लिये सदियों से इस्तेमाल किया जाता रहा है। सरकार का कहना है कि "अल्लाह" शब्द के इस्तेमाल का अधिकार सिर्फ मुसलमानों को है क्योंकि अगर दूसरे धर्मों के लोग भी इसका इस्तेमाल करेंगे तो इससे मुसलमान भ्रमित हो सकते हैं और उनके धर्म परिवर्तन को बढ़ावा मिल सकता है।

अदालत में इसका विरोध करने वाले ईसाई प्रतिनिधियों का तर्क है कि यह प्रतिबंध नाजायज है क्योंकि जो ख्रीस्तीय धर्मानुयायी मलय भाषा बोलते हैं वे सदियों से अपनी प्रार्थनाओं, बाइबिल और गीतों में इस शब्द का इस्तेमाल करते आ रहे हैं। 2007 से चल रहे इस विवाद की वजह से कई बार हिंसा भी हो चुकी है।

मलेशिया की दो तिहाई जनता इस्लाम धर्मानुयायी है किन्तु वहाँ बड़ी संख्या में हिंदू, बौद्ध एवं ख्रीस्तीय धर्मानुयायी भी जीवन यापन करते हैं।








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