वाटिकन सिटीः आतिथ्य में कलीसिया करती है अपनी भूमिका की पुनर्खोज, सन्त पापा फ्राँसिस
वाटिकन सिटी, 18 जून सन् 2014 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा है कि कलीसिया आतिथ्य
में अपनी भूमिका की पुनर्खोज करती है।
16 जून को रोम धर्मप्रान्त के वार्षिक
सम्मेलन का उदघाटन करते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने लगभग 7000 पुरोहितों, धर्मबहनों एवं
लोकधर्मी कार्यकर्त्ताओं को सम्बोधित करते हुए कहाः "मैं एक ऐसी कलीसिया का सपना देखता
हूँ जो येसु की करुणा से परिपूर्ण होकर जीवित रहती है।"
सन्त पापा ने कहा कि
यदि प्रत्येक काथलिक पल्ली करुणा, कोमलता, धैर्य एवं आतिथ्य के सदगुणों को आत्मसात करे
तो काथलिक कलीसिया सही मायनों में माता कलीसिया होगी तथा असंख्य सन्तानों को जन्म देती
रहेगी।
परिवारों में बच्चों के लिये समय निकालने का माता पिता से आग्रह कर सन्त
पापा फ्राँसिस ने कहा कि यदि माता पिता प्रतिदिन भोर होते ही नौकरी के लिये चले जाया
करते हैं तथा देर रात वापस लौटते हैं तो उनके बच्चों की उचित परवरिश करना मुश्किल हो
जाता है। ऐसी स्थिति में सन्त पापा ने पुरोहितों एवं प्रेरितिक देखरेख करने वाले कार्यकर्त्ताओं
से आग्रह किया कि माता पिता की अनुपस्थिति में वे बच्चों एवं युवाओं की देखरेख करें,
उन्हें कलीसिया के प्रेम एवं उसकी करुणा के बारे में बताये।
सन्त पापा ने इस
बात पर बल दिया कि बिना दिशा निर्देशन के युवा एवं बच्चे भटक जाते हैं तथा जीवन के सही
अर्थ को आत्मसात नहीं कर पाते हैं। सन्त पापा ने कहाः "जब लोग अपने माता पिता, परिवार
सदस्यों, स्कूल अथवा पल्ली में बिलाशर्त प्रेम एवं स्वीकृति का अनुभव नहीं कर पाते हैं
तब उनके लिये ईश कृपा के मर्म को समझना कठिन हो जाता है, वह ईश्वरीय कृपा जो ख़रीदी या
बेची नहीं जा सकती अपितु जो प्रभु ईश्वर का वरदान है।"