नई दिल्लीः घरेलू श्रमिकों के काम को मान्यता की मांग
नई दिल्ली, 17 जून सन् 2014 (ऊका समाचार): नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में 16 जून
को अन्तरराष्ट्रीय घरेलू श्रम दिवस मनाने हेतु एकत्र लगभग 2000 घरेलू श्रमिकों ने उनके
काम को मान्यता दिये जाने की विश्व से मांग की।
उन्होंने इस बात पर बल दिया कि
घरेलू श्रमिकों को भी सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार है।
एक संवाददाता सम्मेलन
में अभिनेता और सामाजिक कार्यकर्ता नंदिता दास ने नियोक्ताओं के साथ विश्वास को महत्वपूर्ण
बताया किन्तु कहा कि इसके साथ साथ घरेलू श्रमिकों को स्वयं उनके अधिकारों के लिये आवाज़
उठाने में सक्षम बनाना ज़रूरी है।
सन् 2011 में अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने
"डीसेन्ट वर्क फॉर डोमेस्टिक वर्कर्स" समझौता पारित कर घरेलू श्रमिकों के अधिकारों की
स्थापना की थी। उसी के बाद से 16 जून को अन्तरराष्ट्रीय घरेलू श्रम दिवस रूप में समर्पित
रखा गया है।
ग़ौरतलब है कि फिलीपिन्स एशिया का एकमात्र देश है जिसने अन्तरराष्ट्रीय
श्रम संगठन के उक्त समझौते को अनुसमर्थन दिया है।
अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन
में लैंगिक समानता एवं महिला कार्यकर्ताओं की विशेषज्ञ रिको शुषीमा ने श्रमिकों के अधिकारों
को पहचानने एवं उन्हें सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने हेतु भारत सरकार की पहल को साझा किया
किन्तु भारतीय सरकार से आग्रह भी किया कि वह अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन के उक्त समझौते
को अनुसमर्थन दे।
उन्होंने कहा कि इस समझौते की पुष्टि रूप में भारतीय सरकार
व्यापक राष्ट्रीय कानून बनाकर घरेलू कामगारों के अधिकारों की सुरक्षा में ठोस योगदान
दे सकती है।
दो घरेलू श्रमिकों के साक्ष्यों द्वारा उन्होंने इस बात की ओर ध्यान
आकर्षित कराया कि घरेलू कामगारों का किस प्रकार, शारीरिक और मानसिक शोषण किया जाता है।
उनके विरुद्ध भेदभाव किया जाता, प्रायः उन्हें उचित मज़दूरी नहीं दी जाती तथा अनेक बार
वे मानव तस्करों एवं अवैध प्लेसमेंट एजेंसियों द्वारा प्रताड़ित किये जाते हैं।