2014-06-09 16:04:40

पेन्तेकोस्त महापर्व


वाटिकन सिटी, सोमवार, 9 जून 2014 (वीआर सेदोक)꞉ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में 8 जून को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ किया, स्वर्ग की रानी प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा,
″अति प्रिये भाइयो एवं बहनो,
सुप्रभात,
पेन्तेकोस्त महापर्व ऊपरी कमरे में एकत्र प्रेरितों पर पवित्र आत्मा के उतरने की यादगारी है। जिस प्रकार पास्का एक महान घटना है जो यहूदियों की परमपरागत छुट्टी के दिन आश्चर्यजनक रूप से घटित हुई थी उसी प्रकार, प्रेरित-चरित का ग्रंथ पेन्तेकोस्त की घटना का वर्णन करता है कि उस दिन भारी आँधी चली और आग के जीभों में विभक्त आश्चर्यजनक चिन्ह एवं असाधारण परिणाम दिखाई पड़े। चेलों का भय दूर हो गया तथा उनमें साहस का संचार हुआ, जीभ के बंधन खुल गये और सभी लोगों ने उनकी बातों को समझ लिया।″
संत पापा ने कहा, ″ईश्वर की आत्मा कहाँ से आता, सब कुछ नवीन करता एवं परिवर्तित कर देता है?

उन्होंने कहा कि पेन्तेकोस्त की घटना से ही कलीसिया का जन्म हुआ जो इसकी सार्वजनिक अभिव्यक्ति है, यह हमें दो प्रकार से प्रभावित करती है पहला, आश्चर्य एवं दूसरा, व्याकुलता।
संत पापा ने कहा कि पेन्तेकोस्त का मुख्य बिन्दु है आश्चर्यजनक। हमें ज्ञात है कि हमारा ईश्वर अचरजमय अपने गुरु येसु की मृत्यु के पश्चात् महत्वहीन, पराजित तथा बिछुड़े चेलों के दल से किसी को ऐसी आशा नहीं की थी। आशा के विपरीत यह घटना उनके मन को आश्चर्य से भर दिया क्योंकि सभी ने चेलों को अपनी भाषा में बोलते सुना जो ईश्वर के महान कार्यों का बखान कर रहे थे। (प्रे.च. 2꞉ 6-7.11) पेन्तेकोस्त द्वारा निर्मित कलीसिया एक ऐसा समुदाय था जो गर्व महसूस करता था। यह समुदाय ईश्वर की शक्ति से सुदृढ़, एक नया संदेश, नयी भाषा में अर्थात प्यार की भाषा में ‘ख्रीस्त के पुनरुत्थान’ की घोषणा करता था।
ख्रीस्त पुनर्जीवित हैं इसकी घोषणा नवीन भाषा यानी प्यार की भाषा में किया जाना सब कुछ नये अंदाज में हो रहा था क्योंकि प्रेरित ऊपर की शक्ति से विभूषित थे और वे साहस के साथ बोल रहे थे जबकि कुछ ही समय पूर्व वे डरपोक बने हुए थे। अब वे निर्भीक होकर स्पष्ट रूप पवित्र आत्मा की स्वतंत्रता से बोल रहे थे।

इस प्रकार लोगों की धारणा बन गयी कि कलीसिया सभी को अचरज में डाल सकती है यह घोषित कर कि येसु ख्रीस्त ने पुनर्जीवित होकर मृत्यु पर विजय पायी है। ईश्वर हमेशा उदार हैं वे हमें चंगाई एवं क्षमा प्रदान करने हेतु धैर्य पूर्वक हमारा इंतजार करते हैं। वास्तव में, इसी मिशन के लिए पुनर्जीवित ख्रीस्त ने कलीसिया को पवित्र आत्मा प्रदान किया है। यदि कलीसिया जीवित है तो यह अवश्य लोगों को अचरज में डाल सकती है। यही जीवित कलीसिया की पहचान है पर यदि कलीसिया में अचरज की शक्ति नहीं रह गयी है तो वह कमजोर, बीमार और मरणासन्न की स्थिति में है जिसे जितनी जल्दी हो सके अस्पताल के गहन चिकित्सा विभाग में दाखिल करने की आवश्यकता है।
संत पापा ने कहा कि येरूसालेम में लोग ऐसी चाह रख सकते थे कि येसु के शिष्य भय से घर के अंदर बंद रहें जिससे कि किसी प्रकार की गड़बड़ी न उत्पन्न हो। आज भी बहुत से ख्रीस्तीय यही चाहते हैं जबकि पुनर्जीवित ख्रीस्त उन्हें बाहर आने के लिए प्रेरित करते हैं। ″जैसे पिता ने मुझे भेजा है मैं भी तुम्हें भेजता हूँ।″ (यो.20꞉21) पेंतेकोस्त की कलीसिया एक ऐसी कलीसिया नहीं है जो हानि रहित एवं परिशुद्ध हो। यह श्रृंगार प्रसाधन नहीं है बल्कि ऐसी कलीसिया है जो अपने लिए सौंपे गये दायित्व को पूरा करने के लिए बाहर आने, लोगों से मिलने तथा सुसमाचार की घोषणा करने से नहीं हिचकिचाती। ऐसे अवसरों में भी जब यह संदेश सहज प्रतीत न हो, जब उस संदेश के कारण कोई समस्या खड़ी हो जाए या शहादत तक की नौबत आ जाए। यह एक मात्र एवं सार्वभौमिक रूप से निर्मित हुई है। यह एक पृथक किन्तु उदार कलीसिया है जो सभी को गले लगाती किन्तु उन्हें अपने वश में नहीं करती, उन्हें स्वतंत्र छोड़ती है। यह अपने सदस्यों के समान उनका आलिंगन करती है।

संत पापा ने माता मरिया से प्रार्थना की। उन्होंने कहा कि हम उनके पास आयें जो पेंतेकोस्त की प्रातः ऊपरी कमरे में अपने बच्चों के साथ थी। उनके द्वारा पवित्र आत्मा की शक्ति ने सचमुच महान कार्य किये हैं जैसा कि उन्होंने खुद कहा है। मुक्तिदाता की माता एवं वाटिकन सिटी कलीसिया की माता की मध्यस्थता द्वारा हम कलीसिया एवं विश्व में पवित्र आत्मा की कृपा के लिए प्रार्थना करें।
इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।
‘स्वर्ग की रानी प्रार्थना’ के पश्चात् संत पापा ने देश-विदेश से एकत्र सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया।

संत पापा ने मध्यपूर्व के लिए की जानेवाली शांति प्रार्थना की जानकारी देते हुए कहा, ″जैसा कि आप जानते हैं कि इस संध्या वाटिकन में इस्राएल एवं फिलिस्तीन के राष्ट्रपति तथा पूर्वी कलीसिया के प्राधिधर्माध्यक्ष मेरे भाई बरथॉलोमियो प्रथम, पवित्र भूमि, मध्यपूर्व एवं समस्त विश्व के लिए शांति के वरदान हेतु ईश्वर से मेरे साथ प्रार्थना करेंगे। मैं उन सभी को धन्यवाद देता हूँ जो व्यक्तिगत या सामुदायिक रूप से इस प्रार्थना सभा के लिए प्रार्थना किया है अथवा कर रहे हैं उनकी प्रार्थना आध्यात्मिक रूप से हमारे साथ जुड़ी है। सभी बहुत-बहुत धन्यवाद।
अंत में संत पापा ने सभी को शुभ रविवार तथा पेंतेकोस्त की मंगलकामनाएँ अर्पित की।








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