2014-06-02 12:04:38

रोमः "रिन्यूएल इन द स्पिरिट" के 37 वें सम्मेलन का सन्त पापा फ्राँसिस ने किया उदघाटन


रोम, 02 जून सम् 2014 (सेदोक): रोम के ऑलिम्पिक स्टेडियम में, रविवार पहली जून को सन्त पापा फ्राँसिस ने "रिन्यूएल इन द स्पिरिट" के 37 वें सम्मेलन का उदघाटन किया।
सुसमाचार प्रचार, ख्रीस्तीयों के बीच एकता, निर्धनों, ज़रूरतमन्दों एवं हाशिये पर जीवन यापन करने वाले लोगो की सहायता तथा ईश आराधना को समर्पित "रिन्यूएल इन द स्पिरिट" अर्थात् पवित्रआत्मा में नवीनीकरण करिश्माई समूह के लगभग 50,000 सदस्य रविवार को रोम में सन्त पापा फ्राँसिस का आशीर्वाद लेने एकत्र हुए थे।
भक्तिगीतों एवं साक्ष्यों से परिपूर्ण प्रार्थना समारोह में एकत्र श्रद्धालुओं को सम्बोधित कर सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि "रिन्यूएल इन द स्पिरिट" समूह के सदस्यों ने "प्रभु से महान वरदान प्राप्त किया है।"
उन्होंने कहा कि जब वे करिश्माई अभियान के सदस्यों से मिलते हैं तब उनके मनोमस्तिष्क में कलीसिया की एक विशिष्ठ छवि उभरती है। उन्होंने कहाः "मैं एक महान वाद्य-मण्डल का विचार करता हूँ जिसमें प्रत्येक वाद्य अन्य से अलग होता है तथा आवाज़ें भी भिन्न होती हैं; तथापि, यह सब संगीतमय सामंजस्य एवं मधुर संगीत के संगम के लिये आवश्यक हैं।"
सन्त पापा ने स्मरण दिलाया कि किसी वाद्य-मण्डल की ही तरह "पवित्रआत्मा में नवीनीकरण" करिश्माई समूह का भी कोई सदस्य केवल अपने बारे में नहीं सोच सकता, कोई भी सदस्य यह नहीं सोच सकता कि वह दूसरे से अधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने उनसे कहाः "आपका एक ही अभिनायक है, एक ही प्रभु और गुरु हैः प्रभु येसु ख्रीस्त।"
सन्त पापा ने सदस्यों का आह्वान किया कि वे स्वतः को पवित्रआत्मा द्वारा निर्देशित होने दें ताकि ईश कृपा को अन्यों में बाँट सकें तथा सुसमाचार की उदघोषणा के योग्य अस्त्र बनें।
प्रार्थना पर बल देते हुए सन्त पापा ने कहा, "ईश्वर की आराधना कीजिये तथा पवित्रआत्मा द्वारा नवजीवन में प्रवेश कर पवित्रता में विकास करते जाइये।"








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