2014-05-28 12:02:24

जिनिवाः बेरोज़गारी एवं मानव तस्करी के अभिशाप को समाप्त करने का सन्त पापा ने किया आह्वान


जिनिवा, 28 मई सन् 2014 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन के 103 रे सत्र को प्रेषित सन्देश में विश्व से बेरोज़गारी एवं मानव तस्करी के अभिशाप को समाप्त करने का आह्वान किया।

बुधवार को, जिनिवा में, 28 मई से 12 जून तक चलनेवाला अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन का 103 रा सत्र आरम्भ हुआ।

सत्र के उदघाटन पर अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन के महानिर्देशक श्री गाय राईडर के नाम प्रेषित सन्देश में सन्त पापा ने लिखाः "मानव श्रम ईश्वर का सृष्टि का अभिन्न अंग है तथा ईश्वर के रचनात्मक कार्यों को जारी रखता है। यह सत्य हमें श्रम को एक वरदान और साथ ही एक दायित्व रूप में ग्रहण करने हेतु अग्रसर करता है।"

सन्त पापा ने लिखा कि अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन का सत्र सामाजिक एवं आर्थिक इतिहास के निर्णायक क्षण में आयोजित किया गया है जब बेराज़गारी की समस्या सम्पूर्ण विश्व के समक्ष एक गम्भीर चुनौती बनी हुई है। उन्होंने लिखा, "बेरोज़गारी निर्धनता को प्रश्रय दे रही है तथा यह युवाओं के लिये एक बहुत निराशाजनक स्थिति है जो स्वतः को अक्षम एवं समाज से बहिष्कृत महसूस कर रहे हैं।"

सन्त पापा ने लिखा कि केवल स्वतंत्र, रचनात्मक एवं परस्पर समर्थित श्रम द्वारा ही मानव प्राणी जीवन की प्रतिष्ठा को प्रोत्साहित कर सकते हैं इसलिये ऐसी नीतियाँ बनाई जायें जिनके द्वारा सभी युवाओं को रोज़गार मिल सके।

बेहतर जीवन के लिये अपने देशों एवं घरों से पलायन कर विदेशों में आनेवाले आप्रवासियों की नित्य बढ़ती संख्या की ओर ध्यान आकर्षित कराते हुए सन्त पापा ने कहा कि आप्रवास के साथ कई समस्याएँ लिप्त हैं जिनमें सबसे बदत्तर है मानव तस्करी। उन्होंने कहा कि आप्रवासियों को बलात श्रम के लिये मज़बूर करना तथा उनके साथ दास जैसा व्यवहार करना अमानवीय है। मानव तस्करी को एक अभिशाप निरूपित कर सन्त पापा ने कहा कि यह सम्पूर्ण मानव जाति के विरुद्ध अपराध है।

मानव व्यक्ति, उसके सर्वांगीण विकास एवं उसकी मान मर्यादा को ध्यान में रखते हुए अन्तरराष्ट्रीय श्रम मापदण्डों को लागू किये जाने हेतु उपयुक्त नीतियों का सन्त पापा फ्राँसिस ने आह्वान किया।








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