2014-05-26 13:22:46

होली सेपलकरे महागिरजाघर में आयोजित अन्तरकलीसियाई समारोह में संत पापा का संदेश


येरुसालेम, सोमवार 26 मई, 2014 (सेदोक,वीआर) संत पापा फ्राँसिस ने सेपुल्करे महागिरजाघर में आयोजित अन्तरकलीसियाई सभा को संबोधित करते हुए कहा, भाइयो एवं बहनो सम्मानीय प्राधिधर्माध्यक्ष बार्थोलोमियुस के साथ मिलना मेरी तीर्थयात्रा की चरमसीमा है।

मेरी इस तीर्थयात्रा का मकसद था - हमारे दो वन्दनीय अधिकारी रोम के धर्माध्यक्ष संत पापा पौल षष्टम् और कोन्स्टनतिनोपल के प्राधिधर्माध्यक्ष अथेनागोरास के द्वारा दिखाये गये मार्ग पर कदम बढ़ाना जिन्होंने पचास वर्ष पूर्व पवित्र आत्मा के प्रति वफ़ादार रहकर ऐसा करने का साहस दिखाया था।

संत पापा ने कहा कि कुरिन्थियों के नाम पत्र के 15वें अध्याय के 3 से 4 पदों में जो बातें लिखीं गयीं हैं - उसी विश्वास के कारण हम एक हैं। इसमें प्रेरित संत पौलुस कहते हैं कि मैं आपको सबसे महत्वपूर्ण बातें बता रहा हूँ जिसे मैंने खुद ही समझा है कि येसु सुसमाचार के अनुसार येसु हमारे पापों के लिये मर गये, दफ़नाये गये और तीसरे दिन जी उठे। इसी बात पर हमारा विश्वास - हम ख्रीस्तीयों को एकता के सूत्र में बाँधता है।

हम सबों ने येसु ख्रीस्त का बपतिस्मा पाया है और आध्यात्मिक रूप से अपनी कब्रों से जी उठे हैं ताकि हमें ख्रीस्तीय बुलाहट की समृद्धि को पहचान सकें। हम पुनरुत्थान की संतान हैं, मृत्यु की नहीं।

संत पापा ने कहा कि इसी पुनरुत्थान के कारण हम पास्का के आलोक में ख्रीस्तीय कलीसिया और विश्व की चुनौतियों के साथ जीना सीखते हैँ। हमारे हर दुःख और पीड़ा को भले चरवाहे येसु ने अपने कंधे पर उठाकर अपना बलिदान चढ़ाया है और हमारे लिये अनन्त जीवन का मार्ग खोल दिया है।
आज हम अपनी हमारी आशा को जीवित रखें और दुनिया को पुनरुत्थान के संदेश से वंचित न होने दें, न ही एकता की आवाज़ को अनसुनी न करें जो हमारे दिल में यह कहते हुए गूँज रहा है, " मेरे भाइयो एवं बहनो " ।

निश्चय ही हम इस बात को अस्वीकार नहीं कर सकते हैं कि हम येसु के शिष्यों में एकता नहीं है, यह एक दुःखद सत्य है। फिर भी पचास वर्षों पूर्व हमारे वन्दनीय धर्मगुरुओं की मुलाक़ात को हम कृतज्ञता के साथ याद करें क्योंकि ऐसा सौहार्दपूर्ण मुलाक़ात पवित्र आत्मा की कृपा से ही संभव हो सकी थी।

हमें यह भी मालूम है कि पूर्ण कलीसियाई एकता के लिये हमें लम्बी दूरी तय करनी है और तब हम एक दिन एक ही यूखरिस्तीय भोज में शामिल हो पायेंगे। हमारी कुछ भिन्नतायें हैं जो हमें न तो कमजोर करें, न ही हमारे प्रयासों को पंगु बनाये।

जैसा कि कब्र का पत्थर एक ओर हटाया गया वैसा ही आज ज़रूरत है कि हम एकता के रास्ते में आनेवाले रुकावटों को दूर करें ताकि पूर्ण एकता संभव हो सके। यह निश्चय ही पुनरुत्थान की कृपा होगी।

पुनरुत्थान का अनुभव वैसे हर पल में करते हैं, जब हम एक-दूसरे को क्षमा देते हैं, हर पल जब हम दूसरे पूर्वाग्रह की भावना से नहीं देखते हैं और इस बात की घोषणा करते हैं कि - येसु जी उठे हैं।

आज हम पूरे मध्यपूर्वी राष्ट्रों के लिये प्रार्थना करते हुए पूरे विश्व के लोगों के लिये प्रार्थना करें जो विभिन्न प्रकार के हिंसा, युद्ध गरीबी, भुखमरी आदि के शिकार हैं, कई अपने विश्वास के कारण प्रताड़नायें झेल रहें हैं। ऐसे लोग जो ख्रीस्तीयों को सताते या उन्हें मार डालते हैं वे यह कदापि नहीं पूछते हैं कि ख्रीस्तीय किस कलीसिया के सदस्य हैं। ख्रीस्तीयों में सिर्फ़ एक व्यक्ति का रक्त बहता है – ख्रीस्त का।

संत पापा ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि आइये हम उन बातों से अपने अलग करें जो हममें भ्रांतियाँ फैलातीं है और पवित्र आत्मा के प्रति खुले रहें ताकि एक दिन हमारी एकता पूर्णता की चरमसीमा तक पहुँच सकें और शांति प्राप्त कर सकें।








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