2014-05-25 14:22:38

शांतिपूर्ण सहअस्तित्व और सम्मान के साथ जीवन संभव


फिलीस्तीन, रविवार 25 मई, 2014 (सेदोक,वीआर) संत पापा फ्राँसिस ने पवित्र भूमि की अपनी प्रेरितिक तीर्थयात्रा के दूसरे चरण में जॉर्डन की यात्रा के बाद फिलीस्तीन पहुँचे।

उन्होंने फिलीस्तीन के अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा, " मैं ईश्वर को धन्यवाद देता हूँ जिन्होंने मुझे यह अवसर प्रदान किया है कि मैं शांति के राजा - येसु मसीह के पवित्र जन्मस्थल के दर्शन का सौभाग्य प्रदान किया है।

वर्षो तक चले विभिन्न संघर्षों के कारण यहाँ के लोगों के दिल में घाव हैं उसे आसानी से ठीक नहीं किया जा सकता है। हिंसा न होने पर भी, अस्थिरता और परस्पर समझदारी के अभाव से असुरक्षा की जो भावना, अधिकारों का हनन, अलगाव, झगड़े और हर तरह के दुःखों में वृद्धी हुई है।

संत पापा ने कहा कि मैं उन लोगों के प्रति अपनी आध्यात्मिक सामीप्य प्रकट करता हूँ जो दुःख से पीड़ित हैं। मेरा पूर्ण विश्वास है कि अब समय आ गया है जब लगातार बढ़ रहे अस्वीकार्य परिस्थिति का पूर्ण रूप से अन्त हो।

अब ज़रूरत इस बात की है कि हर संभव प्रयास और पहल किये जायें ताकि एक ऐसी परिस्थिति बने जहाँ न्याय के आधार, स्थायी शांति कायम हो सके, आपसी सुरक्षा का माहौल बने तथा व्यक्ति के अधिकारों का सम्मान हो सके।

समय आ गया है जब व्यक्ति जनहित के लिये रचनात्मक एवं उदारतापूर्ण साहस दिखाने की पहल करे और शांति के लिये कार्य करे जो इस बात पर निर्भर करता है कि दो राष्ट्र अन्तरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सीमा के अन्तर्गत एक-दूसरे के साथ शांति और सुरक्षा के साथ रहने के अधिकार का सम्मान करे।

मेरी पूरी आशा है कि सब कोई उन सब बातों तथा पहलों से बचेंगे जो समझौता करने के मार्ग में बाधक हैं और उन बातों को दृढ़ता से जारी रखें जिससे शांति को बढ़ावा मिले। शांति से इस क्षेत्र के लोगों तथा समग्र विश्व का कल्याण होगा। इस लिये लगातार शांति प्रयास हो भले ही इसके लिये विभिन्न पक्षों को कुछ बलिदान करने की ज़रूरत हो।

संत पापा ने कहा कि फिलीस्तीन और इस्राएल के लोगों तथा इसने नेताओं के लिये मैं प्रार्थना करता हूँ कि वे शांति की यात्रा की यात्रा के लिये अपना साहस दिखायें। सुरक्षा और आपसी विश्वास द्वार शांति की स्थापना अन्य सब समस्याओं के समाधान के लिये एक उदाहरण बनेगा और इस तरह सामंजस्य पूर्ण विकास का मार्ग प्रशस्त होगा जिससे अन्य कई संकटों का समाधान संभव होगा।


मैं दो शब्द ख्रीस्तीय समुदाय के बारे में भी कहना चाहूँगा जो समाज के अन्य लोगों के दुःख-सुख में सहभागी होते हुए समाज कल्याण के लिये अपना विशेष योगदान देती रही है और वह ऐसा करना जारी रखेगी।

संत पापा ने कहा कि वे उन सब प्रयासों की सराहना करते हैं जिसके द्वारा फिलीस्तीन के लोगों ने धार्मिक स्वतंत्रता पर विशेष ध्यान दिया है। मौलिक मानवाधिकारों के प्रति सम्मान - शांति, भ्रातृत्व और सद्भावना के लिये बहुत ज़रूरी तत्व हैं। यह इस बात पर बल देता है कि विश्व में विभिन्न संस्कृतियों तथा धर्मों के बीच सद्भाव और समझदारी के साथ जीवन यापन करना संभव केवल नहीं आवश्यक भी है। यह अधिकार इस बात पर बल देता है कि एक ईश्वर की संतान के रूप हम भाई-बहनें हैं और विभिन्नताओं के बावजूद इसमें आनन्द मनाते हुए व्यवस्था, शांतिपूर्ण सहअस्तित्व और सम्मान के साथ जीवन संभव है।

संत पापा ने आशा व्यक्त की है कि ईश्वर सबों की रक्षा करे और आवश्यक प्रज्ञा और साहस प्रदान करे ताकि हम सब साहसपूर्वक शांति के पथ पर आगे बढ़ें ताकि यह भूमि पुनः प्रगति और शांति के मार्ग पर अग्रसर हो।








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