अम्मान, शनिवार 24 मई, 2014 (सेदोक,वीआर) संत पापा फ्राँसिस ने अपने प्रवचन में कहा कि
येसु ने अपने शिष्यों से एक सहायक देने की प्रतिज्ञा करते हैं। सबसे बड़ा सहायक है -
स्वयं येसु मसीह और दूसरा है पवित्र आत्मा। पवित्र आत्मा तीन कार्य करता है, वह तैयार
करता, अभ्यंजित करता और भेजता है। बपतिस्मा संस्कार में येसु के ऊपर पवित्र आत्मा उतरा
और उन्हें मुक्ति मिशन के लिये तैयार किया। पवित्र आत्मा ने येसु को विनम्र सेवा के
लिये तैयार किया ताकि वे मानव मुक्ति के लिये अपने आप को दे सकें। पवित्र आत्मा ने
माता मरिया को तैयार किया और उसी पवित्र आत्मा ने सिमेओन और अन्ना को भी तैयार किया ताकि
वे मसीहा को देखें और पहचान सकें। पवित्र आत्मा का मिशन है सामंजस्य लाना। पवित्र
आत्मा खुद ही सामंजस्य है जो चाहता है कि लोगों के बीच शांति का विस्तार हो। वह चाहता
है कि विभिन्न लोगों और उनके विचारों की विभिन्नताओं के बीच कोई ऐसी बात न आ जाये जो
शांति के मार्ग में बाधक बने। पवित्र आत्मा हमें अभ्यंजित करता है। इसके द्वारा येसु
के चेले येसु के समान बन जाते हैं वे शांति और एकता में जीवन यापन करने लग जाते हैं। इतना
ही नहीं पवित्र आत्मा एक और कार्य है कि वे अपने शिष्य़ों को अपने मिशन में भेजत हैं ताकि
उनके शिष्य येसु के प्रेम का साक्ष्य दे सकें। उन्होंने कहा, शांति को खरीदा नहीं
जा सकता यह एक वरदान है जिसे धैर्यपूर्वक खोजने से यह प्राप्त हो जाता है। शांति की भावना
तब मजबूत होती है जब हम इस बात को समझते हैं कि हम एक परिवार के सदस्य हैं आज हम
प्रार्थना करें ताकि पवित्र आत्मा हमारी आत्मा को तैयार करे ताकि हम एक-दूसरे को भाई-बहन
रूप में देखें हम राजनीतिक विचारधाराओं, भाषाओं, संस्कृतियों और धर्मों से जुड़ी विभिन्नताओं
पर विजय प्राप्त कर सकें। हम प्रार्थना करें कि पवित्र आत्मा हमारी गलतियों, नासमझियों
और विवादों को दूर करें और हम नम्रतापूर्वक शांति के प्रचारक बन सकें।