प्रेरक मोतीः सन्त जॉन बेपटिस्ट दे रोसी (1698-1764) (23 मई)
वाटिकन सिटी, 23 मई सन् 2014:
जॉन बेपटिस्ट रोसी का जन्म इटली के पीडमन्ड प्रान्त
स्थित वोलताज्जियो गाँव में, 22 फरवरी, सन् 1698 ई. को हुआ था। वे धर्मपरायण पिता कारलो
दे रोसी तथा माता फ्राँचेस्का आन्फोन्सी की चार सन्तानों में से थे। जॉन बेपटिस्स के
चाचा लोरेन्सो दे रोसी कलीसियाई विधान के ज्ञाता थे जिनके सुझाव पर जॉन बेपटिस्ट पढ़ाई
के लिये रोम आये। रोम में उन्होंने येसु धर्मसमाज द्वारा संचालित कोलेजियुम रोमानुम में
शिक्षा दीक्षा पाई तथा पुरोहिताभिषेक के लिये तैयार हुए।
बाल्यकाल से ही
मिर्गी से पीड़ित जॉन बेपटिस्ट को उच्च शिक्षा एवं दूर तक की यात्राओं के कई मौके खोने
पड़े। बिगड़ते स्वास्थ्य के कारण ही बहुत समय तक उन्हें पुरोहिताभिषेक की अनुमति भी नहीं
मिल पाई थी किन्तु बाद में उनके उत्साह को देखते हुए आठ मार्च सन् 1721 ई. को उनका पुरोहिताभिषेक
सम्पन्न हुआ। पुरोहित बनने के उपरान्त उन्होंने रोम में बेघर महिलाओं, रोगियों, क़ैदियों
एवं श्रमिकों की जी जान से सेवा की तथा बहुतों के आध्यात्मिक मार्गदर्शक बने। उनकी पवित्रता
के कारण लोग उन्हें दूसरे सन्त फिलिप नेरी पुकारा करते थे।
23 मई, सन् 1764
ई. को जॉन बेपटिस्ट दे रोसी का निधन हो गया था। उनके पवित्र अवशेष रोम स्थित पवित्र तृत्व
को समर्पित गिरजाघर में दफना दिये गये थे। उनकी मध्यस्थता से सम्पन्न चंगाई के प्रमाणित
होने के उपरान्त 13 मई, सन् 1860 को उन्हें धन्य तथा 08 दिसम्बर, सन् 1881 ई. को सन्त
घोषित किया गया था।
चिन्तनः प्रार्थना एवं मनन चिन्तन द्वारा
हम भी जीवन की कठिनाइयों को सहने का सम्बल प्राप्त करें तथा पीड़ाओं को प्रभु के प्रति
अर्पित कर अपना जीवन साकार करें।