नयी दिल्ली, बृहस्पतिवार 22 मई, 2014 (बीबीसी) भारत ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़
शरीफ़ को नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री पद के शपथ ग्रहण समारोह में बुलाया है. यह जानकारी
भारतीय जनता पार्टी ने दी है। बताया जा रहा है कि पहली बार किसी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री
को ऐसे समारोह में आमंत्रित किया गया है. दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस)
देशों के राष्ट्र प्रमुखों को भी इस समारोह में बुलाया जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों
का मानना है कि भारत और पाकिस्तान के तनावपूर्ण संबंधों को देखते हुए नवाज़ शरीफ़ को
आमंत्रण दिए जाने का विशेष महत्व है। नरेंद्र मोदी 26 मई को प्रधानमंत्री पद की शपथ
लेंगे. भारत के 16वें आम चुनाव में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिला है. भाजपा को कुल 282 सीटों
पर जीत मिली है. वहीं राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के पास कुल 336 सीटें हैं। करीब
तीस साल बाद भारत में किसी एक दल को पूर्ण बहुमत मिला है। वहीं कांग्रेस पार्टी को बुरी
तरह हार का सामना करना पड़ा। बुधवार को मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा
दे दिया. वो 12 साल तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे। नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय सुरक्षा
के मसलों पर किसी तरह का समझौता न करने वाले कट्टर नेता माने जाते हैं। भाजपा भी पाकिस्तान
के ख़िलाफ़ हमेशा सख्त क़दम उठाने की मांग करती रही है। लेकिन बीबीसी संवाददाताओं
के अनुसार चुनाव में मिले भारी बहुमत के कारण ही मोदी पाकिस्तान से इस तरह बात कर पा
रहे हैं, जो पिछली सरकार नहीं कर पा रही थी। बीबीसी के इस्लामाबाद संवाददाता मोहम्मद
इलियास ख़ान के अनुसार नवाज़ शरीफ़ के ऊपर इस बात का दबाव होगा कि वह 26 मई को नरेंद्र
मोदी के शपथ ग्रहण में शामिल हों।पिछले साल उन्होंने अपने शपथ ग्रहण समारोह में तत्कालीन
भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को बुलाया था, लेकिन वह नहीं समारोह में शामिल नहीं
हुए थे.
दिल्ली स्थित पाकिस्तान के उच्चायुक्त का कहना है कि उन्हें अभी तक नवाज़
शरीफ़ के लिए निमंत्रण मिला नहीं है। वैसे विश्लेषकों का कहना है कि अभी तक यह स्पष्ट
नहीं है कि इस पर नवाज़ शरीफ़ क्या प्रतिक्रिया देंगे। हालांकि नरेंद्र मोदी की तरफ़
से निमंत्रण भेजे जाने को दोस्ताना रुख माना जा रहा है। और शायद भारत के नए नेता का बेहद
चालाक कूटनीतिक क़दम भी। भारत और पाकिस्तान के बीच 1947 से अब तक तीन युद्ध हो चुके
हैं. साल 208 में मुंबई में हुए हमलों के बाद दोनों देशों के संबंधों पर काफ़ी असर पड़ा
था, जिनमें पाकिस्तानी हमलावरों के हाथों 166 लोग मारे गए थे। मनमोहन सिंह सरकार के
दौरान दोनों देशों के बीच रिश्ते कुछ बेहतर हुए थे लेकिन कश्मीर में सीमा विवाद के चलते
दोनों देशों के बीच लगातार झड़पें हो रही हैं।