2014-05-21 20:30:36

ज्ञान


वाटिकन सिटी, बुधवार 21 मई, 2014 (सेदोक, वी.आर.) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघऱ के प्राँगण में, विश्व के कोने-कोने से एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को सम्बोधित किया।

उन्होंने इतालवी भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, पवित्र आत्मा के सात वरदानों पर धर्मशिक्षामाला को जारी रखते हुए हम आज हम पवित्र आत्मा एक और वरदान - ज्ञान पर चिन्तन करें।

इस आध्यात्मिक वरदान के द्वारा हम प्रत्येक व्यक्ति और दुनिया की हर वस्तु को ईश्वर की उत्तम योजना रूप में देख पाते हैं।

हम कह सकते हैं हम सृष्टि की सुन्दरता, सामंजस्यता और अच्छाई को ईश्वर हमारे सृष्टिकर्त्ता की आँखों से देख सकते हैं।

असीसी के संत फ्राँसिस के जीवन और कई अन्य संतों के जीवन से हम इस बात को समझ पाते हैं कि ज्ञान का वरदान हमें सृष्टि पर कृतज्ञतापूर्ण चिन्तन और सृजनहार पिता परमेश्वर के प्रति हर्षपूर्ण महिमा के भाव जगाता है।

इस आध्यात्मिक वरदान द्वारा हमें यह कृपा मिलती है कि हम सृष्टि का सम्मान करें और मानव परिवार के हित के लिये इसके सब स्रोतों की रक्षा करें।

ज्ञान का वरदान हमें इस बात के लिये रोकता है कि हमारी आँखें मानव तथा दुनिया की सृष्ट वस्तुओं और उसकी व्यवस्था, मूल्यों और सुन्दरताओं में ही टिकीं न रह जायें पर उनके स्रोत और अंतिम मंजिल ईश्वर केन्द्रित हों।

आज हम पवित्र आत्मा से ज्ञान की कृपा माँगें ताकि यह हमें ईश्वर के उस प्रेम को समझ सकें जिसके द्वारा वे पूरी दुनिया का संचालन करते हैं और उसके अनन्त अच्छाई के लिये उन्हें धन्यवाद दें और उनकी महिमा गायें।

इतना कह कर, संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की। उन्होंने लोगों पर पवित्र आत्मा के वरदान उतरने के लिये प्रार्थना की ।

उन्होंने भारत, इंगलैंड, चीन, मलेशिया, इंडोनेशिया, वेल्स, वियेतनाम, डेनमार्क, नीदरलैंड, दक्षिण कोरिया फिनलैंड, अमेरिका, ताइवान, नाइजीरिया, आयरलैंड, फिलीपीन्स, नोर्व, स्कॉटलैंड. जापान, उगान्डा, मॉल्टा, डेनमार्क कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, हॉंन्गकॉंन्ग, अमेरिका और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों को विश्वास में बढ़ने तथा पुनर्जीवित प्रभु के प्रेम और दया का साक्ष्य देने की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।








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