2014-05-16 14:13:08

कलीसिया के बिना ख्रीस्तीय अस्तित्वहीन


वाटिकन सिटी, शुक्रवार 16 मई, 2014 (सेदोक, वीआर, सीएनए) संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित सान्ता मार्था अतिथि निवास में बृहस्पतिवार 15 मई को दैनिक य़ूखरिस्तीय बलिदान अर्पित करते हुए कहा, " एक ख्रीस्तीय का कलीसिया से बाहर कोई अस्तित्व नहीं है।"

उन्होंने कहा, "एक ख्रीस्तीय को ईश्वरीय प्रजा के बाहर होने की कल्पना नहीं की जा सकती है। ख्रीस्तीय खानाबदोश नहीं हैं पर कलीसिया अर्थात् ईशप्रजा का सदस्य है।"

संत पापा ने कहा, "एक ख्रीस्तीय बिना कलीसिया के मात्र आदर्शवादी सोच है जो सच कदापि नहीं हो सकता।"

संत पापा ने अपने प्रवचन में प्रेरित संत पौल के उस उपदेश पर चिन्तन प्रस्तुत कर रहे थे जिसमें उन्होंने अंतियोख की कलीसिया को संबोधित किया था। इसमें संत पौल ने इस्राएल के मुक्ति इतिहास के गाथा का वर्णन किया था।

संत पापा ने कहा, "येसु मसीह इतिहास से अलग होकर अर्थपूर्ण नहीं हो सकते। सच पूछा जाये तो येसु इतिहास की अंतिम मंजिल हैं और पूरा इतिहास येसु की ओर ही अग्रसर हो रहा है।"

संत पापा ने इस बात पर बल दिया कि हम येसु मसीह को इतिहास से अलग रख कर पूर्णतः नहीं समझ सकते हैं, न ही ख्रीस्तीय जीवन को इतिहास से अलग रख कर पूरी तरह समझ सकते हैं।

उन्होंने कहा, " येसु मसीह एक सुपर हीरो के समान आकाश से हमें बचाने नहीं टपक पड़े। येसु ख्रीस्त का एक इतिहास है, ईश्वर का एक इतिहास है जिसमें वे हमारे साथ यात्रा करते हैं इसलिये ईश्वर की यात्रा के इतिहास को समझना ज़रूरी है।"

संत पापा ने कहा, " एक ख्रीस्तीय ईशप्रजा उस पूर्णता की प्राप्त के लिये यात्रा कर रही है जिसकी प्रतिज्ञा येसु ने की है। ऐसा करने के लिये ख्रीस्तीय को चाहिये कि वह आशावादी बने - एक ऐसी आशा जिसमें व्यक्ति कदापि निराश नहीं होता।"

पोप फ्राँसिस ने लोगों से कहा, " वे इतिहास को याद करने की कृपा माँगें ताकि वे इतिहास की याद करते हुए उस आशा के लिये जीयें जिसमें व्यक्ति ईशपथ पर आगे बढ़ता है और ईश्वरीय व्यवस्थान को रोज दिन नया करता है।"








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