वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 15 मई 2014 (वीआर सेदोक)꞉ वाटिकन स्थित क्लेमेन्टीन सभागार
में 15 मई को, संत पापा फ्राँसिस ने स्विट्जरलैंड, लाइबेरिया, इथियोपिया, सूडान, जमैका,
दक्षिण अफ्रीका और भारत के राजदूतों से मुलाकात कर उनके कर्तव्यों को वफादारी पूर्वक
निभाने के लिए धन्यवाद दिया तथा उन्हें अपनी प्रार्थना का आश्वासन दिया। संत पापा
उन्हें सम्बोधित कर कहा, ″शांति एक ऐसा शब्द है जो समाज के सभी लोगों के लिए हितकर है।
मानवीय परिवारों में शांति का निर्माण विकास एवं न्याय के लिए आवश्यक है। यह एक लक्ष्य
है जिसे कभी पूर्णतया प्राप्त नहीं किया जा सकता है।″ इस समय की चुनौतियों पर ग़ौर
करते हुए संत पापा ने कहा, ″विश्व में शांति स्थापित करना बहुत आवश्यक है विशेषकर, हथियारों
के प्रसार एवं व्यापार को ध्यान में रखते हुए। सभी लोग शांति का बात करते हैं सभी इसे
पाना चाहते हैं किन्तु दुर्भाग्य वश हथियारों के प्रसार के कारण विपरीत परिणाम प्राप्त
हो रहे हैं। संत पापा ने कहा, ″चूँकि हम सब प्रेरित संत पेत्रुस की प्रेरितिक पवित्र
पीठ में एकत्र हैं जिसकी प्रकृति शांति की सेवा है आप सब से मैं अनुरोध करता हूँ कि शांति
के पक्ष में आप अपनी आवाज बुलंद करें ताकि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय साहस पूर्वक शस्त्रों
को कम करने हेतु नवयुग का शुभारम्भ करे।″ इस युग में शांति के लिए दूसरी बड़ी चुनौती
‘विस्थापन’ पर चिंता व्यक्त करते हुए संत पापा ने कहा कि यह बहुत जटिल परिस्थिति है जिसके
समाधान हेतु अंतरराष्ट्रीय संगठन एवं सामाजिक तथा धार्मिक संस्थाएं सहयोग दें। संत
पापा ने कहा कि आज जब हम एक ओर मानव प्रतिष्ठा, स्वतंत्रता एवं सुरक्षा की बात करते हैं
वहीं दूसरी ओर ब्लैकमेल, यातना एवं कई अन्य तरह के उत्पीड़न की भी परिस्थितियों का सामना
करते हैं जो हमें भावुक होने के लिए मज़बूर कर देती हैं। विस्थापन भी संघर्ष एवं युद्ध
के समान है। यह संसार का घाव है जिसके साथ हम जीते हैं। जिस संसार में ईश्वर ने हमें
एक साथ जीने के लिए रखा है उस संसार के भाई-बहनों के प्रति जिम्मेदार होने के लिए ईश्वर
हमें बुला रहे हैं ताकि मानव प्रतिष्ठा कुचला न जाए। संत पापा ने कहा कि सभी शांति
की बात करते हैं सभी शांति चाहते हैं लेकिन दिभार्ग्यवश हर प्रकार के अस्त्रों का प्रसार
एवं व्यापार उलटी दिशा में चल रहा है। उन्होंने कहा कि अस्त्रों का प्रसार एवं व्यापार
संघर्षों को बढ़ा रहा है, विकास में बाधा पहुँचा रहा है तथा शांति को दूर कर रहा है। संत
पापा ने सभी राजदूतों से अपील की कि वे अपने-अपने देशों में मानव अधिकार को आधार मानकर
शांति एवं न्याय के लिए कार्य करें।