2014-05-14 14:47:55

पवित्र आत्मा का वरदान - धैर्य


वाटिकन सिटी, बुधवार 14 मई, 2014 (सेदोक, वी.आर.) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघऱ के प्राँगण में, विश्व के कोने-कोने से एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को सम्बोधित किया।

उन्होंने इतालवी भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, पवित्र आत्मा के सात वरदानों पर धर्मशिक्षामाला को जारी रखते हुए हम आज हम पवित्र आत्मा द्वारा दिये जानेवाले एक और वरदान – धैर्य, पर चिन्तन करें।

हमने पवित्र आत्मा के तीन वरदान प्रज्ञा, समझदारी और सम्मति पर चिन्तन किया है। पवित्र आत्मा के ये वरदान हमें ईश्वर की पवित्र योजना और उनकी इच्छा को समझने की कृपा प्रदान करते हैं।

धैर्य के द्वारा हम मानव कमजोरियों और सीमाओं के बावजूद ईश्वर की इच्छा पूरी करने की शक्ति प्राप्त करते हैं। बीज और बोनेवाले दृष्टांत के द्वारा प्रभु हमें इस बात बतलाते हैं कि हमारे दिल में बोये जानेवाले ईश्वर के बीज जो न केवल भीतरी विरोध का सामना करना पड़ता है पर दुःख और परीक्षाओँ के द्वारा यह कुचला भी जा सकता है।

धैर्य की कृपा देकर पवित्र आत्मा हमें विपत्तियों में भी स्थिर बने रहने की कृपा प्रदान करते हैं। धैर्य के गुण के कारण ही विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में ख्रीस्तीय धर्मसतावट झेलते रहे हैं और विश्वास के लिये शहीद भी हुए हैं।

हम धैर्य के गुण का अभ्यास अपने प्रत्येक दिन के जीवन में तब करते हैं जब हम विभिन्न प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद पवित्रता के मार्ग में डटे रहते हैं।
जब भी हम विश्वास की यात्रा में कमजोर या निराशा का अनुभव करते हैं हम पवित्र आत्मा से धैर्य का वरदान पाने के लिये आग्रह करें, ताकि वे हमें उत्साह से भर देंगे और आगे बढ़ने की शक्ति प्रदान करेंगे।


इतना कह कर, संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की। उन्होंने लोगों पर पवित्र आत्मा के वरदान उतरने के लिये प्रार्थना की ।

उन्होंने भारत, इंगलैंड, चीन, मलेशिया, इंडोनेशिया, वेल्स, वियेतनाम, डेनमार्क, नीदरलैंड, दक्षिण कोरिया फिनलैंड, अमेरिका, ताइवान, नाइजीरिया, आयरलैंड, फिलीपीन्स, नोर्व, स्कॉटलैंड. जापान, उगान्डा, मॉल्टा, डेनमार्क कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, हॉंन्गकॉंन्ग, अमेरिका और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों को विश्वास में बढ़ने तथा पुनर्जीवित प्रभु के प्रेम और दया का साक्ष्य देने की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।










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