प्रेरक मोतीः सन्त नेरेइयुस एवं सन्त आखिल्लेइयुस (पहली शताब्दी)
वाटिकन सिटी 12 मई सन् 2014 सन्त नेरेइयुस एवं सन्त आखिल्लेइयुस पहली शताब्दी के शहीद
सन्त हैं। सन्त पापा सन्त दामासुस ने चौथी शताब्दी में, यानि इन शहीदों के निधन के लगभग
300 वर्ष बाद, अपने स्मृति-ग्रन्थ में इनके बारे में लिखा था। इसी युग की एक स्मारक शिला
भी मौजूद है जिसपर इन दोनों शहीदों के नाम एवं जीवन चरित अंकित है।
सन्त दमासुस
के स्मृति ग्रन्थ के अनुसार ख्रीस्तीयों के उत्पीड़न काल में नेरेइयुस एवं आखिल्लेइयुस
रोमी सेना के सैनिक थे जिन्हें प्रायः यातनाएँ देने का काम दिया जाता था। ख्रीस्तीयों
के विरुद्ध रोमी साम्राज्य द्वारा चलाये गये दमन चक्र से उनका कोई सम्बन्ध नहीं था किन्तु
सैनिक होने के नाते वे सेना के आदेशों का पालन करते रहे थे।
नेरेइयुस एवं
आखिल्लेइयुस रोमी सेना में अपने दायित्वों का निर्वाह करते रहे तथा तब तक ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों
को प्रताड़ित करने का काम करते रहे जब तक उन्हें दैवीय आलोक प्राप्त नहीं हुआ। सन्त दमासुस
यह नहीं बताते कि उनका मनपरिवर्तन कैसे हुआ किन्तु लिखते हैं कि वह "विश्वास का चमत्कार"
था। वह चमत्कार जिसके बाद सैनिक नेरेइयुस एवं आखिल्लेइयुस अपने हथियार छोड़कर अपने तम्बुओं
से भाग निकले थे। हिंसा का परित्याग कर वे ख्रीस्त में नवजीवन की ओर आगे बढ़े थे।
ख्रीस्तीयों
की यातना को नेरेइयुस एवं आखिल्लेइयुस से अच्छा भला और कौन जान सकता था? वे जानते थे
कि रोमी सेना के परित्याग का क्या नतीज़ा होगा किन्तु विश्वास के बल पर साहसपूर्वक आगे
बढ़ते गये। वे अपने पापों पर पश्चातात करते रहे तथा ख्रीस्तीयों की हर प्रकार मदद करते
रहे। मौत के भय उनमें समाया था किन्तु विश्वास ने उसपर विजय पा ली थी। कुछ ही समय बाद
रोमी सेना ने दोनों पलायनवादियों का पता लगाकर उन्हें मौत के घाट उतार दिया था।
किंवदन्ती
है कि रोमी सेना में नेरेइयुस एवं आखिल्लेइयुस, सम्राट दोमिशियन की नाती, फ्लाविया दोमितिल्ला
की रक्षा हेतु तैनात किये गये थे किन्तु बाद में जब फ्लाविया ने ख्रीस्तीय धर्म का आलिंगन
किया तब इन दो सन्तों के साथ-साथ फ्लाविया दोमितिल्ला को भी निष्कासित कर मार डाला गया
था। यह किंवदन्ती, सम्भवतः इसलिये उभरी कि नेरेइयुस एवं आखिल्लेइयुस को उस स्थल पर दफ्नाया
गया था जो बाद में दोमितिल्ला के समाधि स्थल नाम से विख्यात हुआ। पहली शताब्दी के शहीद
सन्त नेरेइयुस एवं सन्त आखिल्लेइयुस का स्मृति दिवस 12 मई को मनाया जाता है।
चिन्तनः "सन्त नेरेइयुस एवं सन्त आखिल्लेइयुस की शहादत हमें विश्व के
समस्त सैनिकों एवं सश्त्र सैनिकों के लिये प्रार्थना की प्रेरणा प्रदान करें ताकि आधुनिक
युग के सैनिक भी ईश्वर के अधिकार को पहचानें तथा ईश नियमों को सर्वोपरि मानें।"