2014-05-07 12:58:05

परामर्श या सम्मति


वाटिकन सिटी, बुधवार 7 मई, 2014 (सेदोक, वी.आर.) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघऱ के प्राँगण में, विश्व के कोने-कोने से एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को सम्बोधित किया।

उन्होंने इतालवी भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, पवित्र आत्मा के सात वरदानों पर धर्मशिक्षामाला को जारी रखते हुए हम आज हम पवित्र आत्मा का परामर्श या सम्मति देने के वरदान पर चिन्तन करें।

इस वरदान के द्वारा ईश्वर हमारे ह्रदय, विचार, शब्द और कार्यों को सीधे रूप से प्रभावित करते हैं ताकि हमारी मुक्ति हो सके।

पवित्र आत्मा अपने पवित्र सलाह या परामर्श के द्वारा हमें येसु के करीब लाता है और उनके द्वारा हमें पिता ईश्वर के लौटने को प्रेरित प्रेरित हैं। पवित्र आत्मा चाहता है कि हमें विश्वास के आलोक में सही मार्गदर्शन प्राप्त हो ताकि हम दूसरों के साथ सद्व्यवहार कर सकें।

पवित्र आत्मा की सलाह का वरदान हमें दूरदर्शिता के गुण में आगे बढ़ने में हमारी मदद करता है और इस बात के लिये सहायक सिद्ध होता है कि हम स्वकेन्द्रित न रहें पर दुनिया की सब चीज़ों को येसु की आँखों से देख सकें।

पवित्र आत्मा की सलाह का वरदान अन्य आध्यात्मिक वरदानों के समान ही प्रार्थना के द्वारा पनपता है और हम पवित्र आत्मा की आवाज़ को सुन सकने में सक्षम हो पाते हैं तथा येसु मसीह के ह्रदय से एक हो जाते हैं।

ध्यान देनेवाली बात तो यह है कि यह वरदान सीधे रूप में व्यक्ति को समृद्ध करता साथ ही हमें अपने भाई-बहनों के अनुभवों और जीवन से भी सम्मति प्रदान करता है।

आज हम पिता परमेश्वर को पवित्र आत्मा की सलाह या सम्मति के वरदान के लिये धन्यवाद दें और इस बात का प्रयास करें कि हम विश्वास के पथ में आगे बढ़ते हुए पवित्र आत्मा की बातों को मानने के लिये तत्पर रहें एवं अपने ह्रदय में पवित्र आत्मा की आवाज़ सुनकर उसके अनुसार कार्य करें।


इतना कह कर, संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की। उन्होंने लोगों पर पवित्र आत्मा के वरदान उतरने के लिये प्रार्थना की

उन्होंने भारत, इंगलैंड, चीन, मलेशिया, इंडोनेशिया, वेल्स, वियेतनाम, डेनमार्क, नीदरलैंड, दक्षिण कोरिया फिनलैंड, अमेरिका, ताइवान, नाइजीरिया, आयरलैंड, फिलीपीन्स, नोर्व, स्कॉटलैंड. जापान, उगान्डा, मॉल्टा, डेनमार्क कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, हॉंन्गकॉंन्ग, अमेरिका और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों को विश्वास में बढ़ने तथा पुनर्जीवित प्रभु के प्रेम और दया का साक्ष्य देने की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।









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