2014-05-07 12:12:40

कोलोम्बोः श्री लंका के ख्रीस्तीयों ने की "धार्मिक पुलिस" के गठन की आलोचना


कोलोम्बो, 07 मई सन् 2014 (एशियान्यूज़): श्री लंका के ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों ने "धार्मिक पुलिस" के गठन की आलोचना की है।

अल्पसंख्यकों के विरुद्ध कुछेक बौद्ध चरमपंथियों की बढ़ती असहिष्णुता के मद्देनज़र विगत सप्ताह राष्ट्रपति माहिन्दा राजपक्षे ने "धार्मिक पुलिस" के गठन की घोषणा की थी जो देश के धार्मिक मामलों के मंत्रालय तथा बौद्ध सासना के अधीन रहेगी। हालांकि, श्री लंका के ख्रीस्तीय पुरोहितों ने एशियान्यूज़ से कहा कि धार्मिक मतभेदों को दूर करने के लिये एक नये पुलिस यूनिट के गठन का सरकार का निर्णय व्यर्थ एवं भ्रामक है।

विगत वर्ष श्री लंका के ख्रीस्तीयों एवं मुसलमानों पर बौद्ध चरमपंथियों ने कई हमले किये थे।

एशियान्यूज़ से मानवाधिकार कार्यकर्त्ता फादर एम्मानुएल साबामलाय ने कहा, "पुलिस की खास यूनिट" उस समस्या को नहीं सुलझा सकती जिसका हम अनुभव कर रहे हैं। इस यूनिट का गठन यह दर्शाता है कि श्री लंका में बौद्ध सएवं अन्य धर्मों के लोगों के बीच समस्याएं व्याप्त हैं।" उन्होंने आरोप लगाया कि अल्पसंख्यकों पर हमलों के लिये ज़िम्मेदार चरमपंथियों को दण्ड न देकर सरकार उनका हौसला बढ़ा रही थी। एंगलिकन पादरी साथीवल भी इस बात से सहमत हैं उनका कहना है कि "धार्मिक पुलिस" के गठन का अर्थ है चरमपंथी दल जैसे बोधू बाला सेना को आधिकारिक सुरक्षा प्रदान करना।

कारितास श्री लंका के निदेशक रह चुके ऑस्ट्रेलिया के फादर ऑसवाल्द फर्त ने कहा, "धार्मिक पुलिस का गठन विडम्बना की पराकाष्ठा है इसलिये कि अल्पसंख्यकों के विरुद्ध अत्याचार करनेवाला चरमपंथी दल बोधू बाला सेना सुरक्षा मंत्रालय के संरक्षण में कार्य करता है।









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