स्पेन, बृहस्पतिवार, 1 मई 2014 (वीआर सेदोक)꞉ विश्व मजदूर दिवस पर एक संदेश प्रेषित कर,
स्पैनिश धर्माध्यक्षीय सम्मेलन ने लोगों को अवगत किया है कि सामाजिक जीवन में, कार्य
पर व्यक्ति से ज्यादा मजदूरी को प्राथमिकता दिया जाना, ईश्वर की महानता को अस्वीकार करना
है। ‘रोजगार के बिना मानव प्रतिष्ठा घायल’ शीर्षक पत्र में उन्होंने इस बात पर बल
दिया है कि ″बेरोजगार, रोजगार असुरक्षा, मजदूरी की अनियमितता, बाल श्रम, लिंग भेद,
जाति भेद, मजदूरी की असमानता एवं कार्य की अन्यायपूर्ण परिस्थितियाँ ये सभी मानव प्रतिष्ठा
में घाव हैं तथा इसका परिवार एवं जीवन पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।″ स्पेन के मजदूरों
के लिए बनी प्रेरितिक आयोग द्वारा दिये गये इस संदेश में विश्वासियों से आग्रह किया गया
है कि मजदूरों की समस्याओं के प्रति उदासीन न हों तथा संत पापा फ्राँसिस के आहवान की
याद करें जिन्होंने अपने प्रेरितिक प्रबोधन एवानजेली गाउदियुम में कहा है, ″हम बहरे बनकर
न रहें क्योंकि हम ईश्वर के साधन हैं अतः गरीबों की पुकार पर ध्यान दें। पत्र के
एक परिछेद में उन लोगों के प्रति भी सहानुभूति प्रकट की है जिन्होंने कार्यक्षेत्र में
अपना जीवन खो दिया है कई बार सुरक्षा की कमी एवं आवश्यक प्रशिक्षण के अभाव के कारण।
कार्यक्षेत्र में दुर्घटना ने कई परिवारों को दुखद बनाया है क्योंकि इसके कारण हमेशा
मृत्यु, अपंग एवं ग़रीबी जैसे विध्वंसकारी परिणाम हुए हैं। अतः विश्वास के परिपेक्ष में
विश्व मजदूर दिवस को मनाते हुए हम संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें की बातों को याद करें, ″स्वतंत्र
रूप से चुना गया कार्य, समाज के विकास में सहायक, परिवार की आवश्यकताओं को पूर्ण करनेवाला
ऐसा कार्य जो व्यक्ति को अपने व्यक्तिगत, पारिवारिक एवं आध्यात्मिक मूल तक पहुंचने में
मदद करे।″