वाटिकन सिटी, रविवार, 27 अप्रैल 2014 (वीआर सेदोक)꞉ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर
के प्राँगण में, कलीसिया के प्रथम शीर्ष प्रेरित संत पेत्रुस के चार उत्तराधिकारियों
के दिन, रविवार 27 अप्रैल को संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में स्थित मंच पर सर्वप्रथम
नजर आने वाले संत पापा एमेरितुस संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें सादे परिधान में, दो नये संतों
संत जॉन 23 वें एवं संत जॉन पौल द्वितीय की ध्वज के ठीक बीजो-बीच उपस्थित हुए तथा संत
पापा फ्राँसिस ने संत घोषणा समारोह का नेतृत्व किया। संत घोषणा के इस विशेष समारोह
के मुख्य अनुष्ठाता संत पापा फ्राँसिस ने संत घोषणा की धर्मविधि को सम्पन्न करते हुए
संत पापा जॉन तेसवें एवं संत पापा जॉन पौल द्वितीय को कलीसिया के सम्मुख लैटिन भाषा में
संत घोषित किया। उपस्थित कलीसिया ने खुशी का इज़हार करते हुए आमेन कहा, जोरों की तालियाँ
बजायीं एवं जयकार की ध्वनि पूरे वातावरण में गूँज उठी। संत पापा जॉन 23 वें निधन के
50 वर्षों बाद एवं संत पापा जॉन पौल द्वितीय निधन के 9 वर्षों पश्चात् संत घोषित हुए।
धर्मविधि
में आगे बढ़ते हुए पीतल में चाँदी लगे ताबुत में नये संतों के अवशेष (रेलिक्स), संत पापा
फ्राँसिस को अर्पित किये गये। संत पापा जॉन 23 वें के अवशेष को उनके परिवार के सदस्यों
एवं संत पापा जॉन पौल द्वितीय के अवशेष को श्रीमती फ्लोरिबेथ मोरा डायज़ ने प्रस्तुत
किया।
संत घोषणा समारोह एवं पास्का अठवारे के अंतिम दिन संत पापा फ्राँसिस ने
उपदेश में पुनर्जीवित ख्रीस्त के महिमामय घावों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि येसु
के घाव विश्वास के लिए एक अपमान एवं बाधा है, विश्वास के मार्ग पर एक ठोकर है किन्तु
यह विश्वास की परीक्षा भी है। इसीलिए जी उठे येसु ख्रीस्त के शरीर में घाव हमारे प्रति
ईश्वर के महान प्रेम का एक स्थायी प्रतीक बन गया है। इसलिए नहीं कि इसके द्वारा ईश्वर
की उपस्थित प्रमाणित हो किन्तु यह विश्वास करने के लिए कि ईश्वर प्रेमी, दयालु एवं विश्वस्त
हैं। नबी इसायस घोषित करते हैं, ″उनके घावों द्वारा आप चंगे हो गये हैं।″ संत पापा
फ्राँसिस ने हमारा ध्यान नये संतों की ओर आकृष्ट किया। उन्होंने कहा कि वे साहसी थे,
उन्होंने येसु के घाव को देखने से कभी नहीं घबराया, उन्होंने ख्रीस्त के क्रूस से कभी
ठोकर नहीं खाया क्योंकि उन्होंने प्रत्येक दुःखी एवं संघर्षरत व्यक्ति में येसु को देखा।
इन दोनों ने 20 वीं सदी की दुखद ऐतिहासिक घटनाओं का साहस पूर्वक सामना किया।
संत
पापा ने द्वितीय वाटिकन महासभा के महत्व की याद करते हुए कहा कि इन दोनों संत पापाओं
ने पवित्र आत्मा के प्रति उदार होकर कलीसिया का नवीनीकरण किया। उन्होंने कहा कि हम यह
न भूलें कि इन संत पापाओं ने ही कलीसिया को विकास के मार्ग पर अग्रसर किया। संत पापा
जॉन 23 वें ने पवित्र आत्मा से संचालित होकर वाटिकन द्वितीय महासभा का समाह्वान किया
तथा संत पापा जॉन पौल द्वितीय ने कलीसिया की बड़ी सेवा की, विशेषकर, परिवार के प्रति
उनका प्रेम सराहनीय है। आज के दोनों नये संत एवं ईश प्रजा के चरवाहे कलीसिया के लिए
प्रार्थना करें ताकि परिवार विषय पर आगामी सिनड एवं परिवार की प्रेरिताई में हम सभी पवित्र
आत्मा के प्रति उदार हो सकें। ईश्वर की करूणा जो आशा, क्षमा और प्यार में प्रकट होती
है उस ख्रीस्त के घाव के रहस्य से कभी ठोकर न खायें।
संत पापा फ्राँसिस ने दो
महान संत पापाओं, संत पापा जॉन पौल द्वितीय एवं संत पापा जॉन 23 वें की संत घोषणा समारोह
के अंत में भक्त समुदाय के साथ स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ किया, स्वर्ग की रानी
प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा,
″अति प्रिय भाइयो
एवं बहनो, सुप्रभात। विश्वास के इस महान समारोह का समापन करते हुए मैं आप सभी का अभिवादन
करता हूँ तथा आप सभी को धन्यवाद देता हूँ। मैं कार्डिनल भाइयों, सभी धर्माध्यक्षों एवं
विश्वभर के पुरोहितों को धन्यवाद देता हूँ। मानव जाति के विकास एवं विश्व शांति हेतु
अमिट योगदान देने वाले दो संत पापाओं को श्रद्धा सुमन अर्पित करने आये विभिन्न देशों
के प्रतिनिधियो को मैं धन्यवाद देता हूँ। विशेष रूप से, इटली के प्रशासनिक अधिकारियों
को उनके सहयोग के लिए मैं अपनी कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ। बेरगामों धर्मप्रांत एवं
क्राकॉव के सभी तीर्थयात्रियों का मैं अभिवादन करता हूँ जो अति प्रिय एवं सम्मानित दो
संत पापाओं के इस स्मारक दिवस पर एकत्र हुए, उनकी शिक्षा का उदारता पूर्वक पालन करनेवाले
आप सभी के प्रति मैं अपने आध्यात्मिक सामीप्य का प्रदर्शन करता हूँ। मैं उन सभी लोगों
के प्रति कृतज्ञ हूँ जिन्होंने आज के दिन को यादगार बनाने हेतु उदारता पूर्वक कार्य किया
है, विशेषकर, कार्डिनल वाल्लिनी के साथ रोम धर्मप्रांत, रोम की नगर पालिका, महापौर इग्नासियो
मारियो, कानून के रक्षक तथा विभिन्न संगठन, संस्थाओं और अनगिनत स्वयंसेवकों को मैं धन्यवाद
देता हूँ।
संत पापा ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में एकत्रित सभी तीर्थयात्रियों
को अभिवादन किया उन्होंने संप्रेषण विभाग के सभी कर्मचारियों को धन्यवाद दिया। अंत में
उन्होंने, बीमार एवं बुजुर्ग सभी लोगों का विशेष रूप से अभिवादन किया जिनकी सहायतार्थ
आज के नये संत उनके अति करीब हैं। इतना कहने के पश्चात् संत पापा ने संत जॉन 23 वें
एवं संत जॉन पौल द्वितीय को अपने प्रिय बच्चों के समान प्यार करने वाली धन्य कुँवारी
मरियम से प्रार्थना की। तत्पश्चात् उन्होंने स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ किया
तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।