2014-04-25 12:16:21

वाटिकन सिटीः जॉन पौल द्वितीय की सन्त घोषणा पर पोलैण्ड को सन्त पापा फ्राँसिस का विडियो सन्देश तथा कॉस्टारिका की महिला का साक्ष्य


वाटिकन सिटी, 25 अप्रैल सन् 2014 (सेदोक): श्रोताओ, पास्का महापर्व से पूर्व दो शुक्रवारों के प्रसारण में हमने धन्य सन्त पापा जॉन 23 वें तथा धन्य सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय के जीवन एवं कृतित्व पर कार्यक्रम प्रस्तुत किये थे।
इसी श्रंखला में, आज सामयिक लोकोपकारी चर्चा कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रस्तुत है धन्य सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय की सन्त घोषणा से पूर्व पोलैण्ड के लोगों को प्रेषित सन्त पापा फ्राँसिस के विडियो सन्देश के कुछ अंश तथा जॉन पौल द्वितीय की मध्यस्थता से चंगाई प्राप्त करनेवाली कॉस्टारिका की महिला फ्लोरिबेथ डायज़ का साक्ष्य।

27 अप्रैल को सन्त पापा फ्राँसिस, रोम स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में, ईश्वरीय करुणा को समर्पित रविवार के दिन, धन्य सन्त पापा जॉन 23 वें तथा धन्य सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय को सन्त घोषित कर काथलिक कलीसिया में वेदी का सम्मान प्रदान करेंगे। इस उपलक्ष्य में धन्य सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय की जन्मभूमि, पोलैण्ड, के लोगों को सम्बोधित विडियो सन्देश में सन्त पापा फ्राँसिस ने कहाः "जॉन पौल द्वितीय के देशवासियों,
उस महापुरुष एवं महान पापा की सन्त घोषणा अब सन्निकट है जो जॉन पौल द्वितीय के नाम से इतिहास में विख्यात हो गये हैं। पास्का के अठवारे की समाप्ति पर, करुणामय ईश्वर को समर्पित आगामी रविवार को उनकी सन्तता को घोषित किये जाने का सौभाग्य मिलने पर मैं अत्यधिक प्रसन्न हूँ। सम्पूर्ण ईश प्रजा की तरह मैं भी, उनकी अथक सेवा, उनके मार्गदर्शन, कलीसिया को तृतीय सहस्राब्दि में प्रस्तावित करने तथा उनके द्वारा प्रदत्त सन्तता के अनुपम साक्ष्य के लिये जॉन पौल द्वितीय के प्रति कृतज्ञ हूँ।"

पहली मई सन् 2011 को सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय की धन्य घोषणा के अवसर पर सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें के शब्दों को उद्धरित कर सन्त पापा फ्राँसिस ने कहाः

"जॉन पौल द्वितीय का हम सबसे निवेदन था कि हम भयभीत न होवें बल्कि ख्रीस्त के प्रति अपने द्वारों को खोलें और यही उन्होंने सबसे पहले कियाः "समाज, संस्कृति, राजनैतिक एवं आर्थिक निकायों के द्वारों को ख्रीस्त के प्रति खोल दिया, ईश्वर से मिलनेवाली महाशक्ति से उन्होंने, प्रतीयमान रूप से, कभी न पलट सकने वाली प्रवृत्ति को भी पलट कर रख दिया। महान मानवीय करिश्मे के साथ विश्वास, प्रेम एवं प्रेरितिक साहस का साक्ष्य प्रदान करते हुए पोलिश राष्ट्र के इस अनुकरणीय सुपुत्र ने, ख्रीस्त के अनुयायी होने, कलीसिया के सदस्य होने तथा सुसमाचार का प्रचार करने से भय न खाने में सम्पूर्ण विश्व के ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों की सहायता की। संक्षेप में: उन्होंने हमारी सहायता की कि हम सत्य से कभी भय न खायें क्योंकि सत्य ही स्वतंत्रता की गारंटी है।"

अपना विडियो सन्देश जारी रखते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने आगे कहाः "हम सब जानते हैं कि विश्व की राहों पर चलने से पूर्व भी, कारोल वोईतिवा की शिक्षा-दीक्षा एवं भरण पोषण अपनी जन्मभूमि पोलैंड में ख्रीस्त एवं कलीसिया की सेवा करते ही बीता था। वहाँ उनके हृदय को आकार मिला, उस विशाल हृदय को जो, पहले द्वितीय वाटिकन महासभा में शरीक होकर और बाद में 16 अक्तूबर, सन् 1978 ई. को समस्त विश्व के प्रति विस्तृत रहा ताकि इसमें सभी राष्ट्रों, भाषाओं एवं संस्कृतियों को जगह मिल सके। जॉन पौल द्वितीय ने सबके लिये सब कुछ किया।"

पोलैण्ड के लोगों एवं पोलैण्ड की काथलिक कलीसिया को जॉन पौल द्वितीय के वरदान के लिये धन्यवाद देते हुए सन्त पापा ने कहाः "हम सब इस वरदान से समृद्ध हुए हैं। जॉन पौल द्वितीय हमारी प्रेरणा के स्रोत बने हुए हैं। उनके शब्द, उनके लेखन, उनके संकेत तथा सेवा करने की उनकी शैली आज भी हमारे लिये प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है। वीरोचित आशा से जी गई उनकी अपार पीड़ा हमें प्रेरणा प्रदान करती है। मानवजाति के उद्धारकर्त्ता ख्रीस्त एवं ईश माता मरियम के प्रति उनका पूर्ण समर्पण हमारी प्रेरणा का स्रोत है।"

धन्य सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय की मध्यस्थता से ब्रेन आन्योरिज़म अर्थात् मस्तिस्क में एक प्रकार के ट्यूमर से पीड़ित कॉस्टा रिका की 50 वर्षीया फ्लोरीबेथ मोरा डायज़ ने अपनी बीमारी से पूर्णतः मुक्ति पा ली है और उनका कहना है कि सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय से प्रार्थना करने के उपरान्त ही उसने अपने असाध्य रोग से स्वास्थ्यलाभ प्राप्त किया था।

सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय की सन्त घोषणा हेतु रोम पहुँची फ्लोरिबेथ मोरा डायज़ ने गुरुवार को वाटिकन के मीडिया सेन्टर में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में अपना साक्ष्य प्रस्तुत किया, उन्होंने कहाः "डॉक्टरों ने मुझे घर भेज दिया था, उन्होंने कहा था कि अब कुछ नहीं किया जा सकता, आपके पास एक महीना है जिसे आप अपने बच्चों के साथ बितायें।"

फ्लोरिबेथ ने बतायाः "पहली मई 2011 को, वाटिकन स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में, जब सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय की धन्य घोषणा का सीधा प्रसारण कॉस्टारिका में किया जा रहा था और रात्रि के दो बजे थे तब मैंने उनसे प्रार्थना की थी। मैंने प्रार्थना की थी कि जॉन पौल द्वितीय पिता ईश्वर से कहें कि मैं मरना नहीं चाहती थी क्योंकि मैं अपने बच्चों से बहुत प्यार करती हूँ और उनका परित्याग नहीं करना चाहती हूँ। तब टेलेविज़न के पर्दे पर मैंने सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें को देखा जो जॉन पौल द्वितीय के अवशेष लिये जा रहे थे। जैसे ही सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय की तस्वीर का उन्होंने अनावरण किया गया मैं गहरी नींद में सो गई, उसी क्षण मुझे उन्होंने पुकारा, उठो! डरो मत! और मैं उठकर खड़ी हो गई, मैंने अपने पति से कहा मैं बिलकुल अच्छी हूँ, सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय ने मुझे चंगाई प्रदान की है।"

फ्लोरिबेथ ने बताया कि उसके बाद किये गये चिकित्सीय परीक्षणों से चिकित्सक भी हैरान रह गये थे क्योंकि इस आश्चर्यजनक चंगाई को समझाने का उनके पास कोई रास्ता नहीं रहा था। बाद में वाटिकन के चिकित्सीय आयोग ने प्रकरण की जाँच के उपरान्त घोषित किया कि फ्लोरिबेथ की चंगाई चिकित्सीय तौर पर अबोध्य है।









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