2014-04-25 14:37:05

फ़िलहाल जेल में ही रहेंगे राजीव गांधी के हत्यारे


नयी दिल्ली, 25 अप्रैल, 2014 (बीबीसी) भारत के सर्वोच्च अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों को रिहा किए जाने के मामले को संविधान पीठ को सौंप दिया है।पीठ का फ़ैसला आने तक राजीव गांधी के हत्यारे जेल में ही रहेंगे।

संविधान पीठ तय करेगी कि ये मामले किस सरकार के अधिकार क्षेत्र में आएगा। यानि केंद्र और तमिलनाडु में किस सरकार के पास राजीव गांधी के हत्यारों की सज़ा के बारे में फ़ैसला लेने का अधिकार होगाय़

सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद राजीव गांधी की हत्यारे पेरारिवलन की मां अरपुथामल फूट-फूटकर रो पड़ी

फाँसी की सजा के खिलाफ़ जनांदोलन चलाने वाले सेल्वराज मुर्गियन ने कहा, ''जस्टिस सतशिवम ने चूँकि पहले उनकी फांसी को उम्रकैद में बदला था, लिहाज़ाउम्मीद थी कि वह आगे भी राहत देंगे।''

राजीव गांधी के हत्यारों मुरूगन, संतन और पेरारिवलन को फांसी की सजा दी गई थी, लेकिन इसी साल सुप्रीम कोर्ट ने इनकी मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील कर दिया थ।

राजीव गांधी की हत्या में शामिल नलिनी, रॉबर्ट, जया कुमार और रविचंद्रन पहले से उम्र क़ैद की सज़ा काट रहे हैं।

तमिलनाडु सरकार सभी गुनहगारों को रिहा करना चाहती है। उम्र कैद की सज़ा माफ़ करने का अधिकार राज्य सरकार का होता है लेकिन केंद्र सरकार इसका विरोध कर रही है। केंद्र का कहना है कि ऐसा करने से गलत परंपरा शुरू होगी.
लिहाज़ा सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को संविधान पीठ को अधिकार को सौंप दिया है कि वो तय करे इस मामले को किस सरकार के तहत माना जाए. पीठ इसे जिस सरकार के तहत मानेगी, उसके पास इन दोषियों की सजा के संबंध में फैसला लेने का अधिकार होगा.

फरवरी में इन सातों गुनहगारों को तमिलनाडु ने रिहा करने का करने का आदेश दिया था। इसके खिलाफ केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील करते हुए राज्य सरकार के अधिकार को चुनौती दी थी।

मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने 20 फरवरी को राज्य सरकार के आदेश पर रोक लगा दिया था. तब पीठ ने कहा था कि राज्य की ओर से प्रक्रियागत चूक हुई है।













All the contents on this site are copyrighted ©.