वाटिकन सिटी, 23 अप्रैल सन् 2014 (सेदोक): वाटिकन प्रेस कार्यालय में, वाटिकन रेडियो
के निदेशक एवं वाटिकन के प्रेस प्रवक्ता फादर फेदरीको लोमबारदी के नेतृत्व में, मंगलवार
को एक सम्वाद दाता सम्मेलन सम्पन्न हुआ जिसके दौरान सन्त पापा जॉन 23 वें तथा सन्त पापा
जॉन पौल द्वितीय को क्यों सन्त घोषित किया जा रहा था इस प्रश्न पर ध्यान केन्द्रित किया
गया।
सन्त पापा जॉन 23 वें को सन्त घोषित करने के लिये दस्तावेज़ों का अनुसन्धान
करनेवाले काथलिक पुरोहित फादर जॉनजुसेप्पे कालीफानो ने पत्रकारों से कहा, "15 वर्ष की
आयु में जब आन्जेलो रॉनकाल्ली यानि जॉन 23 वें गुरुकुल छात्र थे तब से ही वे पवित्रता
के पथ पर निकल पड़े थे। उन्होंने कहा कि जॉन 23 वें की गहन विनम्रता तथा कलीसिया के मेषपाल
रूप में काथलिक धर्मानुयायियों के प्रति उनका पितृसुलभ प्रेम उन्हें सन्त की उपाधि प्रदान
करता है।"
उन्होंने कहा कि सन्त पापा जॉन 23 वें ने द्वितीय वाटिकन महासभा बुलाकर
कलीसिया के लिये नये क्षितिजों को खोल दिया इसलिये वे कलीसिया में सन्त कहलाने योग्य
हैं।
इस बीच, सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय की सन्त घोषणा हेतु दस्तावेज़ों पर अनुसन्धान
करनेवाले मान्यवर स्लावोमीर ओदेर ने युवा कारोल अर्थात् जॉन पौल द्वितीय के युवाकाल के
बारे में बताया। उन्होंने कहा, "कारोल वोईतिवा के विश्वविद्यालयीन साथी उन्हें उस समय
से ही "भावी सन्त" कहा करते थे इसलिये कि वे उनके प्रार्थना करने के तरीके तथा जीवन पर
उनके चिन्तनों से प्रभावित थे।"
उन्होंने कहा कि जॉन पौल के गहन रहस्यवाद ने
उन्हें व्यक्तिगत रूप से ईश्वर के रहस्य को स्वयं अपने जीवन में जीने के लिये प्रोत्साहित
किया।
उन्होंने कहा, "सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय के लिये उपयुक्त संज्ञा है ईश
पुरुष जो उन्हें "सन्त" का सम्मान प्रदान करती है। जॉन पौल द्वितीय के लिये प्रार्थना
उनकी प्राणवायु, जल एवं दैनिक आहार था।"